गोविन्द पोद्दार / कुशेश्वरस्थान दरभंगा।
शारदीय नवरात्रि के अवसर पर प्रखंड क्षेत्र में चारों तरफ हर्षोल्लास का माहौल बना हुआ है। जगह जगह दुर्गा सप्तशती का पाठ तो कहीं भजन कीर्तन से वातावरण भक्तिमय बना है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में विभिन्न मंदिर एवं पंडालों में स्थापित देवी दुर्गा की प्रतिमा का दर्शन पूजन करने पहुंच रहे हैं। विभिन्न मंदिर एवं पूजा पंडालों में बुधवार को माता दुर्गा के छठवें स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा अर्चना भक्ति भाव से श्रद्धा पूर्वक पूजन किया। इस अवसर पर दोपहर बाद बेल न्योती का अनुष्ठान पूरा किया गया। बेल न्योती अनुष्ठान को लेकर सभी पूजा स्थलों से गाजे बाजे के साथ भव्य जुलूस में बेल के पेड़ के निचे वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पुरोहितों ने इस अनुष्ठान को पूरा किया। इस दौरान जय माता दी की जयघोष एवं घड़ी घंट के मधुर आवाज से वातावरण गुंजायमान हो रहा था। इधर पूजा पंडालों में देवी कात्यायनी के दर्शन पूजन के लिए भक्तों का दिन भर तांता लगा रहा। पंडित आचार्य राज नारायण झा ने बताया कि दैत्य राज महिषासुर के अत्याचार से परेशान देवताओं के आग्रह पर त्रिदेव के तेज से महर्षि कात्यायन के दिए वचन को पूरा करने के लिए उनके आश्रम में देवी का जन्म हुआ। उनका नाम कात्यायनी रखा गया। उन्होंने कहा कि देवी कात्यायनी रोग,शोक, संताप भयनाशिनी है और अर्थ, धर्म,कर्म मोक्षदायिनी है। मैया कात्यायनी की पूजन से संतान एवं धन वैभव की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि बुधवार को बिल्वाभिमंत्र (बेलन्योती) होगा। 10 अक्टूबर गुरुवार को पत्रिका प्रवेश,म हारात्रि निशा पूजा के साथ मैया का पट खुलेंगे। 11 अक्टूबर शुक्रवार को महा अष्टमी व नवमी व्रत,त्रिशूलनी पूजा, कुंवारी भोजन,हवन कार्य तथा 12 अक्टूबर शनिवार को अपराजित पूजा नीलकंठ दर्शन एवं देवी विसर्जन होगा। इधर शाम होते ही मंदिर एवं पूजा पंडालों में संध्या दीप प्रज्ज्वलित करने वाले महिला एवं कन्याओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मालूम हो कि कुशेश्वरस्थान प्रखंड के झझरा, नारायणपुर,सोहरबा,बेर चौक, ब्रह्मपुर,औराही, भदहर, चातर,लरांच तथा पूर्वी प्रखंड में कुशेश्वरस्थान बाजार स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर, वैष्णवी दुर्गा पूजा, सम्राट चौक,भिण्डुआ, छोटकी कोनिया सहित 16 स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कुशेश्वरस्थान बाजार स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर में सन् 1775 ई0 से ही यहां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा हो रहा। वहीं झझरा में 143 वर्षों से देवी दुर्गा का प्रतिमा स्थापित किया जाता है। इधर पूजा स्थलों पर मंदिर एवं पंडालों के साथ साथ मूर्तियों के सजाने संवारने का काम पूरा कर लिया गया है। पूजा पंडालों, इसके परिसर तथा आस पास के क्षेत्रों और पंडाल तक पहुंच पथ को रंग बिरंगे बिजली के झालरों, बल्वो तथा मर्करी से सजाया गया है जिससे शाम होते ही पूजा स्थलों का दृश्य सतरंगी रोशनी से जगमगा रहा है। देर शाम तक लोगों के मंदिरों, पूजा पंडालों और सड़कों पर हो रहे चहल-पहल को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने गश्त तेज कर दिया है।