बीरेंद्र पांडेय, नजरिया न्यूज विशेष संवाददाता, किशनगंज, 05फरशरी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा: भारत रत्न देने का फ़ैसला मेरे लिए बेहद भावुक घड़ी है. मुझे उनके साथ काम करने और उनसे सीखने का कई बार मौक़े मिले.
वहीं, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा:
मैं पूरी विनम्रता और कृतज्ञता के साथ भारत रत्न स्वीकार करता हूं. यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों का भी सम्मान है जिसकी मैं पूरी ज़िंदगी अपनी पूरी क्षमता के साथ सेवा करने के लिए प्रेरित रहा हूं। यह जानकारी बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अवध बिहारी सिंह ने दी। वे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का एलान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को बधाई दे रहे थे।
पूर्व श्री सिंह ने कहा:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद सोशल मीडिया साइट एक्स पर इसका एलान किया है।
उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए लिखा, “मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “भारत के विकास में हमारे दौर के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक रहे आडवाणी जी का योगदान अविस्मरणीय है.”
“उनका सफ़र ज़मीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर उप प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का रहा है। उन्होंने गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनकी संसदीय यात्रा अनुकरणीय और समृद्ध नज़रिए से भरी रही है।
पूर्व विधायक अवध बिहारी सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी के विषय में बताया:
लालकृष्ण आडवाणी
तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। आडवाणी चार बार राज्यसभा के और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1977 से 1979 तक पहली बार केन्द्रीय सरकार में कैबिनेट मन्त्री की हैसियत से लालकृष्ण आडवाणी ने दायित्व सम्भाला। आडवाणी इस दौरान सूचना प्रसारण मन्त्री रहे।
आडवाणी ने अभी तक के राजनीतिक जीवन में सत्ता का जो सर्वोच्च पद सम्भाला है वह है एनडीए शासनकाल के दौरान उपप्रधानमन्त्री का था। लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केन्द्रीय गृहमन्त्री बने और फिर इसी सरकार में उन्हें 29 जून 2002 को उपप्रधानमन्त्री पद का दायित्व भी सौंपा गया।
श्री अवध बिहारी सिंह ने कहा:
पुस्तकें, संगीत और सिनेमा में लालकृष्ण आडवाणी विशेष रुचि रखते हैं।भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। भारतीय जनता पार्टी को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख पार्टी बनाने में उनका योगदान सर्वोपरि कहा जा सकता है। वे कई बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। जनवरी 2008 में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन ने लोकसभा चुनावों को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने तथा जीत होने पर उन्हें प्रधानमन्त्री बनाने की घोषणा की थी।
भारतीय जनता पार्टी के जिन नामों को पूरी पार्टी को खड़ा करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक लाने का श्रेय जाता है उसमें सबसे आगे की पंक्ति का नाम है लालकृष्ण आडवाणी।
श्री अवध विहारी सिंह ने कहा: लालकृष्ण आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा। कुल मिलाकर पार्टी के आजतक के इतिहास का अहम अध्याय हैं लालकृष्ण आडवाणी।
जनसंघ का इतिहास याद करते हुए पूर्व विधायक और दिघलबैंक निवासी अवध बिहारी सिंह कहा:
वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। तब से लेकर सन 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे। वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व सम्भाला। वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने सम्भाला।
एक सवाल पर अवध बिहारी सिंह ने बताया:
पू्र्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी 8 नवंबर 2022 को 95 साल के हो गए हैं।आडवाणी भारतीय जनता पार्टी (पूर्व में जनसंघ) के संस्थापक सदस्य हैं। इनका जन्म 8 नवंबर 1927 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था।ये ऐसे नेता रहे जिन्होंने पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई। कई यात्राएं निकालीं जो पार्टी और इनके लिए फायदेमंद रहीं।
जब आडवाणी ने किया अटल के नाम का एलान: अवध बिहारी सिंह:
11 नवंबर, 1995 को मुंबई के शिवाजी पार्क में बीजेपी ने एक बहुत बड़ी रैली का आयोजन किया था।पार्टी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी उस रैली को संबोधित कर रहे थे।अचानक उन्होंने घोषणा की कि अगले चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार होंगे। न ही पार्टी के कार्यकर्ता और न ही आरएसएस का नेतृत्व आडवाणी के मुख से इन शब्दों की उम्मीद कर रहा था।
होटल लौटते ही आडवाणी के करीबी गोविंदाचार्य ने उनसे पूछा था, ‘आरएसएस से सलाह लिए बिना आपने इतनी महत्वपूर्ण घोषणा क्यों कर दी?’ आडवाणी का जवाब था, ‘अगर मैंने संघ के इसके बारे में बताया होता तो उन्होंने इस बात को नहीं माना होता।
विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने भी स्वीकार किया था कि उन्हें बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि आडवाणी इस तरह की घोषणा करने जा रहे हैं।
ये एलान उस समय हुआ था जब हर जगह यही कयास लगाए जा रहे थे कि स्वयं लाल कृष्ण आडवाणी बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार होंगे।
बाद में आडवाणी ने अपनी आत्मकथा ‘माई कंट्री माई पीपुल’ में लिखा:
मैंने जो कुछ भी किया वो एक त्याग नहीं था। मैं क्या सही है और देश और पार्टी के लिए क्या बेहतर है के तर्कसंगत आकलन के बाद इस नतीजे पर पहुंचा था।
एक पत्रकार के सवाल पर लालकृष्ण आडवाणी का जवाब था:हमें अपने वोट बढ़ाने की ज़रूरत है. उसके लिए हमें अटलजी की ज़रूरत है।