- विजिलेंस इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के DG बने रहेंगे; 1989 बैच के IPS अफसर हैं
Najaria News Patna : 1989 बैच के IPS अफसर आलोक राज बिहार के नए DGP बनाए गए हैं। गृह विभाग की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर इसकी जानकारी दी गई है। आलोक राज विजिलेंस इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के DG पद पर थे। फिलहाल वे अभी इस पद पर भी बने रहेंगे। बिहार सरकार ने आईपीएस अफसर आरएस भट्टी को रिलीव कर दिया है। उन्हें केंद्र सरकार ने CISF का DG बनाया है।
आलोक राज बिहार के नए DGP
सेंट्रल डेपुटेशन पर जा रहे हैं DGP राजविंदर सिंह भट्टी
बिहार के DGP राजविंदर सिंह भट्टी सेंट्रल डेपुटेशन पर जा रहे हैं। उन्हें CISF के डीजी बनाया गया है। आरएस भट्टी की पहचान बिहार के सख्त अफसरों में होती है। उन्होंने SP रहते कई बाहुबलियों को गिरफ्तार किया। भट्टी ने बिहार में दो सरकारों के लिए काम किया है। महागठबंधन की सरकार में उन्हें बिहार पुलिस का मुखिया बनाया गया था, लेकिन NDA सरकार में कानून व्यवस्था को लेकर काफी सवालों में रहें। महागठबंधन की सरकार ने उन पर भरोसा जताया था, लेकिन सत्ता से बाहर होने के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव रोजाना क्राइम बुलेटिन जारी कर बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अब भट्टी को सेंट्रल डेपुटेशन पर भेजा जा रहा है तो तेजस्वी का कहना है कि बिहार में कोई अफसर रहना नहीं चाहता है।
राजविंदर सिंह भट्टी CISF के डीजी बनाए गए हैं।
20 महीने तक DGP रहे आरएस भट्टी
DGP बनने से पहले BSF में ईस्ट जोन की कमान संभाल रहे थे
सीनियर IPS अधिकारी राजविंदर सिंह भट्टी पहले भी कई बार सेंट्रल डेपुटेशन पर रह चुके हैं। बिहार आने से पहले वे BSF में ईस्ट जोन की कमान संभाल रहे थे। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आरएस भट्टी को बिहार पुलिस का DGP बनाना चाहते थे। इसमें वो कामयाब भी रहे।
इसके पीछे कई वजह है। जब बिहार मिलिट्री पुलिस (BMP) को बदलकर बिहार स्पेशल आर्ड पुलिस (BSAP) को अस्तित्व में लाया जा रहा था, तो इसमें आरएस भट्टी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस वक्त वो बिहार में ही थे।
तब मुख्यमंत्री ने BSAP का पहला ADG बनाया था, लेकिन इसके बाद भट्टी फिर से सेंट्रल डेपुटेशन पर चले गए थे। अब करीब 20 महीने तक बिहार के DGP रहने के बाद फिर से वो सेंट्रल डेपुटेशन पर जा रहे हैं।
जुलाई महीने से शुरू हो गई थी चर्चा
सितंबर 2025 तक आरएस भट्टी का कार्यकाल है। इसके बाद वो भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी से रिटायर्ड हो जाएंगे। इस कारण बतौर DGP उनका एक साल से अधिक समय का कार्यकाल बचा था।
अचानक से जुलाई महीने में उनके वापस से सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने की चर्चा होने लगी थी। अनुमान लगाया जा रहा था कि आरएस भट्टी 15 अगस्त के बाद कभी भी अपना पद छोड़ सकते हैं। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी पोस्टिंग ऑर्डर के बाद इस चर्चा पर मुहर लग गई।
भट्टी CISF के DG क्यों बने, सामने आई तीन वजह
सवाल उठता है कि एक राज्य के DGP होते हुए राजविंदर सिंह भट्टी CISF के DG क्यों बने? वो वापस सेंट्रल डेपुटेशन पर क्यों जाना चाह रहे थे? इन सवालों का जवाब जानने के लिए पड़ताल शुरू की तो पुलिस मुख्यालय में कई तरह की चर्चाएं हो रही थी।
नाम सामने न आ जाए, इस कारण कोई भी पुलिस
भट्टी CISF के DG क्यों बने, सामने आई तीन वजह
सवाल उठता है कि एक राज्य के DGP होते हुए राजविंदर सिंह भट्टी CISF के DG क्यों बने? वो वापस सेंट्रल डेपुटेशन पर क्यों जाना चाह रहे थे? इन सवालों का जवाब जानने के लिए पड़ताल शुरू की तो पुलिस मुख्यालय में कई तरह की चर्चाएं हो रही थी।
नाम सामने न आ जाए, इस कारण कोई भी पुलिस अधिकारी बात करने से बच रहे थे, लेकिन भास्कर की पड़ताल में मुख्य रूप से तीन बड़ी वजह सामने आई है।
वजह नंबर – 1
भट्टी को नहीं मिला फ्री हैंड
जानकारी के मुताबिक, DGP राजविंदर सिंह भट्टी बिहार में पुलिस का इकबाल और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तरह से फ्री हैंड काम करना चाहते थे, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से काम करने के लिए खुली छूट नहीं दी गई थी। इस कारण लंबे वक्त से वो नाराज चल रहे थे। मुख्यमंत्री सचिवालय में बैठे बड़े अधिकारी लगातार उनके काम में हस्तक्षेप कर रहे थे।
वजह नंबर – 2
ट्रांसफर-पोस्टिंग में नहीं ली जाती थी सलाह
राज्य में IPS और BPS के पुलिस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग गृह विभाग करती है। बिहार में इसके मालिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। सूत्रों के अनुसार, DGP रहते भट्टी चाहते थे कि पुलिस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में उनकी भी राय ली जाए, लेकिन इनके पूरे कार्यकाल के दौरान एक बार भी ऐसा नहीं हुआ।
इस कारण 2023 के सितंबर-अक्टूबर में ही आरएस भट्टी ने फिर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने का मन बना लिया था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हुई, जिस कारण वो रुक गए थे। इसके बाद फिर लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई थी।
वजह नंबर – 3
दो IPS पर कार्रवाई से नाराजगी
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग ने नवादा के एसपी अम्बरिश राहुल और भोजपुर प्रमोद कुमार यादव को हटाते हुए दोनों का ट्रांसफर कर दिया था। जब चुनाव खत्म हुआ तो राज्य सरकार ने वापस इन दोनों ही पुलिस अधिकारियों को नवादा और भोजपुर भेज दिया।
सूत्रों के अनुसार, इससे भट्टी बेहद नाराज हो गए। इसका असर यह हुआ कि दोनों एसपी का मूवमेंट ऑर्डर DGP ऑफिस से 10 से अधिक दिनों तक जारी ही नहीं हुआ था। इस कारण मुख्यमंत्री और इनके बीच नाराजगी बढ़ती चली गई।