वीरेंद्र चौहान, नजरिया न्यूज ब्यूरो किशनगंज, 13 जनवरी।
किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड स्थित भेबड़ा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर द्वारा एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत उत्क्रमित मध्य विद्यालय में किशोर-किशोरियों के रक्त की जांच कराई गई। इस जांच में पाया गया कि 7 बच्चों में मॉडरेट एनीमिया यानी मध्यम स्तर की खून की कमी है। यह न केवल बच्चों के शारीरिक विकास में बाधा डालता है, बल्कि उनकी पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। एनीमिया जैसी समस्या से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग का यह प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिले के स्वास्थ्य अधिकारी इसे एक बड़ी चुनौती मानते हुए इसके समाधान के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं।
एनीमिया: एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की एनीमिया, विशेष रूप से किशोरावस्था में, भारत में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। यह तब होता है जब शरीर में आयरन की कमी के कारण हीमोग्लोबिन का स्तर गिर जाता है। इससे बच्चों में कमजोरी, थकान, चिड़चिड़ापन, पढ़ाई में मन न लगना, और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।किशनगंज के सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने इस अभियान को स्वास्थ्य सुधार का एक बड़ा कदम बताते हुए कहा,”एनीमिया से लड़ने के लिए जागरूकता और समय पर हस्तक्षेप जरूरी है। बच्चों को आयरन युक्त आहार जैसे पालक, दालें, गुड़, और फल देने की आदत डालनी चाहिए। इसके अलावा, आयरन फोलिक एसिड की गोलियों का सेवन नियमित रूप से करवाना चाहिए। इस अभियान का उद्देश्य किशनगंज जिले के हर बच्चे को स्वस्थ बनाना है।”
किशनगंज, बिहार -7 छात्राओं में मॉडरेट एनीमिया यानी मध्यम स्तर का खून स्कूल में जांच के पाया गया। यह कमी न केवल बच्चों के शारीरिक विकास में बाधा डालती है, बल्कि उनकी पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है…
जिला पदाधिकारी ने की अभियान की सराहना
जिलाधिकारी विशाल राज ने अभियान की सराहना करते हुए कहा,”एनीमिया मुक्त भारत अभियान हमारे बच्चों के स्वस्थ और उज्ज्वल भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। स्कूलों और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से ही हम इस समस्या को जड़ से खत्म कर सकते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें और उन्हें संतुलित आहार उपलब्ध कराएं।” एनीमिया जैसी समस्याओं से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं। नियमित स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन, पोषण पर जागरूकता कार्यक्रम, और स्कूली बच्चों में आयरन की गोलियों के वितरण से समस्या का समाधान संभव है।
स्वास्थ्य जागरूकता और सुधार की दिशा में कदम
भेबड़ा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) ऐश्वर्या ने इस शिविर को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा,”ऐश्वर्या ने बच्चों की जांच और उनके अभिभावकों को जागरूक करने में शानदार काम किया है। उनके प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ कि एनीमिया की पहचान समय पर हो सके और बच्चों को सही दिशा में उपचार मिले। ऐसे स्वास्थ्यकर्मी हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं।”भेबड़ा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की यह पहल एनीमिया मुक्त भारत अभियान के उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। यह जागरूकता और प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि किशनगंज जिले में इस तरह की सकारात्मक पहल हो रही है।
समाज की जिम्मेदारी
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की यह समस्या केवल स्वास्थ्य विभाग तक सीमित नहीं है। समाज के हर वर्ग, विशेष रूप से माता-पिता, शिक्षकों और ग्राम पंचायतों, को इस अभियान में अपनी भूमिका निभानी होगी। संतुलित आहार और स्वच्छता के महत्व को समझना और बच्चों को इसका पालन करवाना ही एनीमिया मुक्त भविष्य की कुंजी है।