वीरेंद्र चौहान, नजरिया न्यूज ब्यूरो, 17अगस्त।
किशनगंज के सांसद डॉ मोहम्मद जावेद आज़ाद सह वक़्फ़ बिल के जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के सदस्य डॉ,. जावेद आजाद ने किशनगंज अंजुमन इस्लामिया मदरसा में मुस्लिम धर्मगुरु एवं वक़्फ़ के जानकार लोगो के साथ मीटिंग कर वक़्फ़ बिल पर विचार विमर्श कर सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर बातचीत की।
इस अवसर पर किशनगंज के विधायक इज़्हारुल हुसैन के साथ कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि नया बिल मौजूदा वक्फ कानून में लगभग 40 बदलावों का प्रस्ताव रखता है। इसके तहत वक्फ बोर्डों को सभी संपत्ति दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
इसका उद्देश्य वक्फ बोर्डों की संरचना और कामकाज को बदलने के लिए धारा 9 और 14 में संशोधन करना है, जिसमें महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व को शामिल किया गया है।
इसके अलावा, विवादों को निपटाने के लिए वक्फ बोर्डों द्वारा दावा की गई संपत्तियों का नया सत्यापन किया जाएगा और दुरुपयोग को रोकने के लिए, जिला मजिस्ट्रेट वक्फ संपत्तियों की निगरानी में शामिल हो सकते हैं।
द इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, यह कानून वक्फ बोर्डों की मनमानी शक्तियों को लेकर व्यापक चिंताओं के कारण लाया गया है।
एक अध्ययन के मुताबिक वक्फ की संपत्ति पर दावे और रख-रखाव तक का प्रविधान हैं। 1955 में पहला संशोधन किया गया। 1995 में एक नया वक्फ बोर्ड अधिनियम बना। इसके तहत हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई।
वर्ष 2024 में लाएगे वक्फ बिल
में प्रावधान है कि सरकारी संपत्ति को वक्फ माना जाएगा।
विधेयक में कहा गया है कि वक्फ के रूप में पहचानी गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ की नहीं मानी जाएगी। अनिश्चितता की स्थिति में उस क्षेत्र का कलेक्टर स्वामित्व निर्धारित करेगा और राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा। यदि उसे सरकारी संपत्ति माना जाता है, तो वह राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट करेगा।