नजरिया न्यूज संवाददाता कुशेश्वरस्थान दरभंगा :
जो मनुष्य सच्चे मन से श्रीराम कथा का श्रवण करते हैं। उसका लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। श्रीराम कथा मनुष्य को को मर्यादा में रहना सिखाता है यह मनाव का सही मार्गदर्शन भी कराती है। यह मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है। अनेकों सत्कर्म के बाद ही मनुष्य का जीवन मिलता है। इसे यूं ही व्यर्थ में नहीं गंवाना चाहिए। उक्त बातें केवटगामा राम जानकी मंदिर परिसर में आयोजित श्री श्री 1008 श्री सीताराम महायज्ञ के प्रथम दिन शुक्रवार को चित्रकूट के प्रसिद्ध कथा वाचक रामप्रिय दास जी महाराज ने श्रीराम कथा में प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम जैसा चरित्र इस संसार में पैदा नहीं हुआ है।वह परम उदार, दयालु और मार्ग दर्शक है। भगवान श्री राम का नाम उनसे बड़ा है। उनके नाम में इतनी शक्ति है कि अगर सच्ची भक्ति और निष्ठा से उनका नाम पत्थर पर लिखने से वह पत्थर पानी में भी तैरने लगती है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहे जाते हैं। हर मां बाप राम जैसा बेटा चाहता है। रामप्रिय दास जी महाराज ने श्रीराम कथा का महत्व समझाते हुए कहा कि श्रीराम कथा हमें जीवन जीने की कथा सिखाती है। कथा सुनने मात्र से ही प्रभू की कृपा मिलती है। जहां भगवान राम की कृपा होती है। वहीं राम कथा का आयोजन संभव होता है और राम की कृपा वहीं होता है जहां उनके भक्त रहते हैं। कहा कि प्रभु श्री राम ने ही मानव शरीर की रचना की है।राम कथा से हर जीव की व्यथा दूर हो जाती है। संसार के सभी जीवों का कल्याण राम कथा के श्रवणपान से ही हो पाएगा। कथा के बीच बीच में प्रसंग आधारित संगीतमय भजन कीर्तन से पंडाल में उपस्थित श्रोता भक्ति के सागर में गोते लगाते रहे। इससे पहले जय श्री राम और हर हर महादेव की जयघोष के बीच मुख्य यजमान भीखो दास, लक्ष्मण दास, जगदेव दास, भागवत मुखिया सहित अन्य को पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच संकल्प दिलाकर यज्ञ को विधिवत शुभारंभ किया। इसके साथ ही वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन पूजन से आसपास के गांव का वातावरण भक्तिमय हो गया।