नजरिया न्यूज़ पटना- “10 फ़रवरी से संचालित होने वाले एमडीए अभियान में शिक्षा विभाग आगे आकर सहयोग करेगा. सभी जिला एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को इसके लिए निर्देशित किया गया है. फ़ाइलेरिया एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य समस्या है और इसके उन्मूलन से ही एक स्वस्थ समाज की कल्पना की जा सकती है”, उक्त बातें, मिथिलेश मिश्रा, निदेशक, प्राथमिक शिक्षा ने कही. आगामी एमडीए अभियान में शिक्षा विभाग की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए राज्य मिड डे माल कार्यालय में बैठक आयोजित की गयी. फाइलेरिया एक गंभीर रोग है जिससे विश्व के 47 देशो के लगभग 86.3 करोड़ आबादी खतरे में है. राज्य के सभी जिले फ़ाइलेरिया से प्रभावित हैं.
स्टेट एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ राजेश बैठक में पांडेय ने कहा कि फाइलेरिया नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में एक प्रमुख रोग है. एमडीए अभियान विश्व का सबसे बड़ा अभियान है जिसमे घर घर जाकर स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा लोगों को दवा खिलाई जाती है. बच्चों को फ़ाइलेरिया की दवा का सेवन कराकर ही भविष्य में फ़ाइलेरिया के संक्रमण से बचाया जा सकता है. इसमें शिक्षा विभाग संचालित सरकारी स्कूलों के द्वारा अपना सहयोग कर सकता है. विश्व भर में फाइलेरिया विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण है. बिहार में वर्ष 2004 से ही एमडीए राउंड चलाया जा रहा है. इस दौरान उन्होंने रोग एवं एमडीए की कई अन्य तकनीकी पक्ष पर विस्तार से चर्चा की.
पिरामल स्वास्थ्य के बासब रूज ने बताया कि एमडीए राउंड के दौरान 3 दिनों तक बूथ लगेगा एवं 14 दिन घर-घर जाकर दवा खिलाई जाएगी. इस तरह 17 दिनों तक दवा खिलाई जाएगी. वहीं, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, ज़िला अस्पताल, अनुमण्डलीय अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, में 17 दिनों तक बूथ लगेगा. उन्होंने कहा कि पिछले राउंड में इंट-भट्टा, एसएसबी स्कूल एवं मॉल इत्यादि में 100 फीसदी दवा सेवन कराया गया. बासब रूज ने बताया कि पिरामल टीम द्वारा शिक्षकों का एमडीए अभियान को लेकर जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर उन्मुखिकारण किया जायेगा.
डॉ. राजेश पांडेय ने बताया कि वर्तमान में राज्य में लिम्फेडेमा (अंगों में सूजन) के लगभग 1.56 लाख मरीज़ हैं और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के लगभग 21,422 मरीज़ हैं. उन्होंने बताया कि केवल एमडीए के सफल किर्यन्वयन से ही फाइलेरिया की रोकथाम एवं उन्मूलन संभव है. डॉ. पांडेय ने जानकरी डी कि प्रत्येक एमडीए राउंड से पहले प्रभावित जिलों में नाईट ब्लड सर्वे आयोजित किया जाता है ताकि उन जिलों में माइक्रो फाइलेरिया दर का पता चल सके और उसी के अनुसार रणनीति बनाकर कार्य किया जाये.
बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टेट एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय, पिरामल स्वास्थ्य की तरफ से बासब रूज, पीसीआई की तरफ से डॉ. पंखुड़ी मिश्रा, सिफार के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रणविजय कुमार उपस्थित रहे. सभी जिलों के जिला कार्यक्रम प्रबंधक, मध्याह्न भोजन बैठक में ऑनलाइन जुड़े.