- जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय जौनपुर में फर्जी शिक्षण संस्थानों का नवीनीकरण कराने वाले गिरोह का है बोलबाला
- डीएम जौनपुर के प्रशासनिक कार्य से अधिकांश पीड़ित महसूस कर रहे हैं राहत, मामला संस्कृत कालेज पट्टी नरेंद्रपुर का
मनोज कुमार वत्स, संवाददाता नजरिया न्यूज,
शाहगंज, जौनपुर, 18नवंबर।
विरासत का अर्थ है वह सभी भौतिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक और प्राकृतिक संपत्तियां, परंपराएं और मूल्य जो हमें हमारे पूर्वजों से मिलते हैं ।और जिन्हें हम आने वाली पीढ़ियों को सौंपते हैं। इसमें शिक्षण संस्थान के भूमि दान करना,ऐतिहासिक स्मारक, परंपराएं, रीति-रिवाज, धन, संपत्ति और यहां तक की जीन जैसी चीजें भी शामिल हो सकती हैं। इसके विपरीत शिक्षण संस्थानों को भूमि दान करने के संस्कार को केवल आईएएस अधिकारी ही इस समय सपोर्ट कर रहे हैं।
*शिकायत:*
उत्तर प्रदेश के वाराणसी मंडल के सोसायटी निबंधन पदाधिकारी का कारनामा सुनिए- वाराणसी सोसायटी निबंधन कार्यालय में ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान जिन्होंने 1932 में संस्कृत कालेज पट्टी नरेंद्रपुर को संपूर्णनंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त किया था,उस संस्था का नवीनीकरण नहीं करके 1980 से भूमि भवन विहीन संस्कृत महाविद्यालय पट्टी नरेंद्रपुर का नवीनीकरण किया जा रहा है।
इस बाबत सवाल का जवाब पाने के लिए विरासत के पक्षधरों को राज्य सूचना आयुक्त के न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। फिर भी सोसायटी निबंधन कार्यालय वाराणसी कान में तेल डालकर सो रहा है। जवाब नहीं दे रहा है। लगता है वाराणसी सोसायटी निबंधन कार्यालय को ना तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र के होने का भय है और ना तो मुख्य योगी आदित्यनाथ के निदेश का ही भय है।
सोसायटी निबंधन पदाधिकारी वाराणसी आरटीआई का भी जवाब नहीं दे रहे हैं और ना ही राज्य आयुक्त लखनऊ के न्यायालय में दायर मुकदमे का जवाब दे रहे हैं। मामला जौनपुर जिले के संस्कृत कालेज पट्टी नरेंद्रपुर का है जो 1932से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध है। यह संस्था ( *संस्कृत कालेज पट्टी नरेंद्रपुर, जौनपुर* )1946 में निबंधित हुई थी । 1980तक संस्था का नवीनीकरण हुआ है। इसके बाद अर्थात 1980 के बाद विरासत से खेला करने का खेल शुरू हुआ। इसके कई उदाहरण वाराणसी मंडल में ही हैं।
फिलहाल,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में शिक्षण संस्थानों के नवीनीकरण में खेला होने का मामला आने के बाद जारी निदेश से शिक्षण संस्थानों से जुड़े विरासत प्रेमी अपना दर्द सुनाने का साहस कर पा रहे हैं। जौनपुर से सटे सुलतानपुर जिले में श्री हनुमत इंटर कालेज विजेथुआ राजापुर की संस्था को लगभग चार दशक बाद नवीनीकरण और प्रबंधन को पुनः प्रभार मिल गया है। ऐसी उपलब्धि संस्कृत कालेज पट्टी नरेंद्रपुर को नहीं मिली।
आज 18 नवंबर 2025 को वाराणसी मंडल के जौनपुर जिले के संस्कृत कालेज के प्रबंधक ब्रह्मदेव सिंह ने कैमरे के सामने हुई बातचीत में जो भी कहा, उसका निष्कर्ष यह है कि शिक्षण संस्थानों के नवीनीकरण में वाराणसी प्रमंडल का निबंधन कार्यालय माफियाओं के इसारे पर आज भी काम करने को विवश है। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय जौनपुर, भूमि और भवन विहीन शिक्षण संस्थान संस्कृत महाविद्यालय पट्टी नरेंद्रपुर के प्रबंधन की जी हुजूरी करने के लिए मजबूर हैं। क्योंकि भूमि और भवन विहीन शिक्षण संस्थान -संस्कृत महाविद्यालय पट्टी नरेंद्रपुर, जौनपुर का तार उत्तर प्रदेश सचिवालय से जुड़ा हुआ है। इसी के चलते कानूनी प्रावधान के उलट भूमि और भवन विहीन संस्कृत महाविद्यालय पट्टी नरेंद्रपुर के प्रबंधन पर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय जौनपुर प्राथमिकी नहीं दर्ज करा रहा है।
फिलहाल,ऐसे गिरोहों का बोलबाला जौनपुर जिले में बना हुआ है। वहीं डीएम जौनपुर से मिलकर भूमि और भवन विहीन संस्थाओं की शिकायत करने पर कार्रवाई की भी सूचना मिल रही है। भूमि और भवन विहीन संस्थाओं के कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है।शिकायतकर्ता इससे संतुष्टि महसूस कर रहे हैं।
















