दुर्केश सिंह, संपादकीय प्रभारी, नजरिया न्यूज 12अगस्त।
अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन:अदानी ग्रुप के ख़िलाफ़ रिपोर्ट जारी करने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च ने अब बाज़ार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाया है।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर फ़ंड हिंडनबर्ग ने शनिवार को व्हिसलब्लोअर दस्तावेज़ों का हवाला देते हुए कहा कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की उन ऑफ़शोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अदानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं।
रविवार शाम सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने दो पन्नों का एक बयान जारी कर हिंडनबर्ग के दावों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा है कि रिपोर्ट में जिस फ़ंड का ज़िक्र किया गया है। उसमें 2015 में निवेश किया गया था और ये माधबी के सेबी का सदस्य बनने से दो साल पहले का मामला है।
इससे पहले रविवार सवेरे ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच ने एक बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है।
दोनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है, ”इन आरोपों में कोई सचाई नहीं है। हमारी ज़िंदगी और वित्तीय लेनदेन खुली किताब हैं।
सेबी ने 10 अगस्त, 2024 को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर एक बयान जारी कर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की है.
सेबी ने कहा है कि निवेशकों को शांति बनाए रखनी चाहिए और ऐसी रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देने से पहले उस जानकारी का सही से आकलन कर लेना चाहिए.
सेबी के मुताबिक़, “निवेशकों को पता होना चाहिए कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में एक डिस्क्लेमर शामिल है, जिसमें कहा गया है कि कंपनी जिन बॉन्ड्स की चर्चा कर रही है, उनमें शॉर्ट पोज़िशन रख सकती है.”
सेबी ने कहा है कि अदानी समूह के मामले में सेबी ने 24 में से 23 जाचों को पूरा कर लिया है और आखिरी जांच भी लगभग पूरी होने वाली है.
सेबी के अनुसार उसने अदानी समूह को 100 से ज़्यादा समन्स लगभग 1,100 पत्र और ईमेल जारी किए हैं। इसके अलावा सेबी ने घरेलू और विदेशी नियामकों से 300 से ज़्यादा बार बातचीत की है। साथ ही 12,000 पन्नों के दस्तावेज़ों की समीक्षा भी की है।
रविवार शाम को सेबी चीफ़ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने दो पन्नों का एय बयान जारी किया जिसमें उन्होंनें विस्तार से हिंडनबर्ग के लगाए आरोपों पर अपनी राय रखी।
उन्होंने हिंडनबर्ग के आरोपों का खंडन करते हुए लिखा, “हिंडनबर्ग के लगाए आरोपों पर सेबी अलग से अपनी प्रतिक्रिया देगी, लेकिन हम पर लगे आरोपों को लेकर हम जवाब दे रहे हैं।
बयान के मुताबिक़, माधबी ने आईआईएम अहमदाबाद से पढ़ाई की है और दो दशक से भी अधिक वक्त तक बैंकिग और वित्तीय संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। वहीं धवल बुच ने आईआईटी दिल्ली से अपनी पढ़ाई है और 35 साल तक एक बड़ी कंपनी में सीनियर मैनेजन्ट में काम किया है।
बयान के अनुसार, “अपने काम के दौरान दोनों ने पैसे जोड़े और निवेश किया है। माधबी पुरी के मौजूदा पद को देखते हुए उनकी वित्तीय स्थिति का आकलन करना ग़लत है और दुर्भावना से प्रेरित है।
बयान के मुताबिक़, “हिन्डनबर्ग की रिपोर्ट में जिस फ़ंड का ज़िक्र है उसमें निवेश करने का फ़ैसला साल 2015 में किया गया था। दोनों उस वक्त आम नागरिक थे और सिंगापुर में रहते थे। ये माधबी पुरी के सेबी में काम करने के क़रीब दो साल पहले की बात है।
“इस फ़ंड में निवेश करने का फै़सला इसलिए किया गया क्योंकि फ़ंड के चीफ़ इनवेस्टमेंट ऑफ़िसर अनिल आहूजा, धवल के बचपन के दोस्त हैं और वे दोनों एक दूसरे को स्कूल और आईआईटी दिल्ली के समय से जानते हैं। जब आहूजा ने 2018 में उस फ़ंड हाउस को छोड़ दिया तो हमने भी अपने निवेश को भुना लिया।
बयान में कहा गया है कि “अनिल आहूजा ने ये स्पष्ट किया है कि किसी भी समय फ़ंड हाउस ने किसी भी अदानी समूह की कंपनी के किसी भी बॉन्ड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया था।
“भारत में कई नियमों का उल्लंघन करने के लिए हिंन्डनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटिस का जवाब देने की बजाय उसने सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और सेबी की चेयरपर्सन के चरित्र हनन करने का रास्ता चुना।
माधबी पुरी बुच और उनके पति ने कहा है:
हमें किसी भी और वित्तीय दस्तावेज़ों का खुलासा करने में कोई झिझक नहीं है। इनमें वो दस्तावेज़ भी शामिल हैं जो उस समय के हैं जब हम एक आम नागरिक हुआ करते थे।
उन्होंने कहा है कि मामले की पूरी पारदर्शिता के लिए हम उचित समय पर पूरा बयान जारी करेंगे।
उन्होंने कहा है, “हिंडनबर्ग रिसर्च के ख़िलाफ़ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की थी और कारण बताओ नोटिस जारी किया था. उसी के जवाब में हिंडनबर्ग रिसर्च ने नाम ख़राब करने की कोशिश की है।
*राहुल गांधी -गंभीर आरोप लगाए गए हैं:*
रविवार शाम को कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भी प्रतिक्रिया आई है।
उन्होंने 2 मिनट 19 सेकंड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किय और कहा कि हाल के वक्त में अधिक से अधिक लोग भारतीय शेयर मार्केट में अपनी कमाई लगा रहे हैं और विपक्ष के नेता के तौर पर मेरी ये ज़िम्मेदारी है कि मैं उनके इसमें निवेश करने के जोखिम के बारे में बताऊं।
उन्होंने कहा, “ऐसा इसलिए क्योंकि स्टॉक मार्केट का नियमन करने वाली भारत की संस्थ्या सेबी पर आरोप लग रहे हैं।
उन्होंने कहा “लाखों लोगों की जमापूंजी ख़तरे में है इसलिए इस मामले की जांच की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि “इससे तीन बड़े सवाल उठते हैं-पहले ये कि आरोप लगने के बाद भी माधबी पुरी ने इस्तीफ़ा क्यों नहीं दिया।
दूसरा- ईश्वर न करे अगर बाज़ार में कुछ गड़बड़ हुई और निवेशों को अपना पैसा खोना पड़े तो इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा, सेबी चीफ़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर अदानी।
तीसरा-ये मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में है, अब गंभीर आरोप लगने के बाद क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले में भी स्वत: संज्ञान लेगी।
अब से साफ़ हो रहा है कि पीएम मोदी इस पूरे मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने को लेकर क्यों डर रहे हैं।