===
शहरों में किराए के घरों में जिंदगी बिता रहे परिवारों के लिए राहत देने वाली स्कीम का सिर्फ नाम लिया गया है, लेकिन जब इस स्कीम का ब्योरा आएगा तो हो सकता है कि बजट में जिस राजनीतिक रेवड़ी का इंतजार हो रहा था, वो यहीं छिपी हो
===
यह स्कीम चुनावी कार्ड भी साबित हो सकती है. इसी तरह मुफ्त बिजली के दौर में अपनी छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वालों को तीन सौ यूनिट मुफ्त बिजली का एलान उस राजनीति की काट भी बन सकता है
===
दो एलान ऐसे हैं जिनपर नज़र रखनी चाहिए और जो लंबे दौर में भारत के लिए बड़े फायदे का कारण बन सकते हैं.
एक इन्नोवेशन के लिए कंपनियों को पचास साल का ब्याजमुक्त कर्ज देने के लिए एक लाख करोड़ रुपए देने का एलान और दूसरा राज्य सरकारों को पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने के लिए ब्याजमुक्त कर्ज देने की योजना
==
यह दोनों योजनाएं कुछ वैसी दूरंदेशी वाली योजनाएं हैं जैसा आज़ादी के बाद भारत में अंतरिक्ष और परमाणु अनुसंधान का काम शुरू करने का फैसला था
इनका असर दिखने में उतना तो नहीं मगर काफी वक्त लगेगा. लेकिन फिर यह बहुत लंबे समय तक फल देने वाला पेड़ रोपने जैसा काम है
अनिल उपाध्याय, नजरिया ब्यूरो, 02फरवरी।
पर्यटन क्षेत्र के लिए दो फ़ीसदी बजट बढ़ाने की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने आज कहा कि जो राज्य प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का विकास करेंगे और उनकी ब्रांडिंग-मार्केटिंग वैश्विक स्तर पर करेंगे।उन्हें केंद्र सरकार की ओर से प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही केंद्र सरकार इस विकास के लिए राज्यों को लंबी समयावधि के लिए ब्याज़ मुक्त कर्ज़ भी मुहैया कराएगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को मौजूदा सरकार का आख़िरी बजट पेश किया।इसमें टूरिज़्म इंडस्ट्री के लिए बजट को दो फ़ीसदी बढ़ा दिया गया है।
भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया:
“भारत घरेलू पर्यटन के प्रति बढ़े जोश को देखते हुए लक्षद्वीप सहित अपने सभी द्वीपों पर नए आधारभूत ढांचे और पोर्ट कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट शुरू करेगा।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार :
वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए अनुमानित बजट 2,449.62 करोड़ रुपये हैं। ये 2023-24 में 2400 करोड़ रुपये था। लेकिन 2023-24 का संशोधित अनुमान 1692.10 करोड़ रुपये हो गया।
अंतरिम बजट का लब्बोलुआब:
3.79ट्रिलियन डालर देश का उत्पादन है। भारत का हर व्यक्ति लखपति है। प्रति व्यक्ति आय यह सूचना दे रही है। निर्मला सीतारमण ने अपना छठा बजट पेश किया है। 6लाख 63हजार 672करोड़ टैक्स 2018-19में कार्पोरेट से लिया गया। यह जानकारी देते हुए डाटा एनालिस्ट पुण्य प्रसून बाजपेई ने बताया: आज 2023-24के मार्च तक लिया जा रहा 8लाख 25हजार 834करोड़ रुपये। पांच वर्षो में कारपोरेट टैक्स डेढ़-पौने दो करोड़ रुपये टैक्स की बढ़ोतरी हो रही है। परसनल टैक्स में वसूली दो गुनी हो गई है।पांच वर्ष पहले चार लाख 73हजार 429 करोड़। पांच वर्ष में बढ़कर आठ लाख 33हजार307 करोड़ रुपये हो गई।अन्य मद के टैंक्स एक हजार करोड़ से कम थे। पांच वर्ष बाद बढ़कर 4हजार 900करोड़ को पार कर गया है।18लाख करोड़ रुपये घाटे का बजट है।100 लाख करोड़ रुपये का कर्ज सरकार 2024के बाद ली है।
====
बजट का सबसे बड़ा पहलू:
शहरों में किराए के घरों में जिंदगी बिता रहे परिवारों के लिए राहत देने वाली स्कीम का सिर्फ नाम लिया गया है, लेकिन जब इस स्कीम का ब्योरा आएगा तो हो सकता है कि बजट में जिस राजनीतिक रेवड़ी का इंतजार हो रहा था, वो यहीं छिपी हो।
यह स्कीम चुनावी कार्ड भी साबित हो सकती है. इसी तरह मुफ्त बिजली के दौर में अपनी छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वालों को तीन सौ यूनिट मुफ्त बिजली का एलान उस राजनीति की काट भी बन सकता है।
===
दो एलान ऐसे हैं जिनपर नज़र रखनी चाहिए और जो लंबे दौर में भारत के लिए बड़े फायदे का कारण बन सकते हैं:
एक इन्नोवेशन के लिए कंपनियों को पचास साल का ब्याजमुक्त कर्ज देने के लिए एक लाख करोड़ रुपए देने का एलान और दूसरा राज्य सरकारों को पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने के लिए ब्याजमुक्त कर्ज देने की योजना।
यह दोनों योजनाएं कुछ वैसी दूरंदेशी वाली योजनाएं हैं जैसा आज़ादी के बाद भारत में अंतरिक्ष और परमाणु अनुसंधान का काम शुरू करने का फैसला था।
इनका असर दिखने में उतना तो नहीं मगर काफी वक्त लगेगा. लेकिन फिर यह बहुत लंबे समय तक फल देने वाला पेड़ रोपने जैसा काम है।