प्रतिभा सिंह/ मीरा प्रवीण वत्स,8जनवरी। चुनाव आयोग दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है। मतदान में आप पार्टी पर सभी की निग़ाहें हैं। मतदान 5फरवरी और मतगणना 8फरवरी को होगी। दिल्ली विधानसभा में कुल 70सीटें हैं। भ्रष्टाचार का कथित आरोप, चुनी हुई सरकार को शासन नहीं चलाने देने आदि आरोपों के आप सुप्रीम अरविंद केजरीवाल चुनाव के केंद्र में है। भाजपा को चुनौती देने वाली पार्टी मानी जा रही है। कांग्रेस पार्टी से आप को नुक़सान पहुंचाने का कयास लगाया जा रहा है। ये पार्टियां पहले भी अरविन्द केजरीवाल से लड़ चुकी हैं। अरविंद, राहुल और पीएम नरेंद्र मोदी में से दिल्ली के मतदाताओं को परखना है कि दिल्ली की सत्ता किसे देना लोकतंत्र को मजबूत बनाएगा? लोकतंत्र ही सबसे बड़ा मुद्दा है।
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह सहित कई दिग्गजों की गिरफ़्तारी हुई। हालांकि ये सभी लोग ज़मानत पर बाहर हैं, लेकिन बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया है।भ्रष्टाचार के कथित आरोपों से आप’ की छवि को कितना नुक़सान पहुंचा है, इसका भी नतीजा मतदान से निकलना है।
राजनीतिक टिप्पणीकार और वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह कहते हैं कि बीजेपी इस चुनाव में अधिक आक्रामक है।इसकी वजह ये भी है कि पिछले दो चुनावों से इस बार उसकी स्थिति बेहतर है।टक्कर सिर्फ आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच है।कांग्रेस कहीं पिक्चर में नहीं है और वह सिर्फ वोट खेल बिगाड़ और बना सकती है ।
वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह कहते हैं कि बीजेपी और कांग्रेस की ओर से तमाम तीखे हमलों के बावजूद दिल्ली चुनाव केजरीवाल के इर्द-गिर्द ही रहने वाला है…
इस चुनाव में केजरीवाल के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा है।बाकी पार्टियां हार भी जाएं तो उनका बहुत कुछ दांव पर नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह ने कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस की भूमिका दिलचस्प हो गई है। अगर बीजेपी तेज़ी से वोट शेयर का अंतर कम करती है तो कुछ सीटों पर जीत का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहता है।
उन्होंने कहा: केजरीवाल की निम्न मध्यम वर्ग के बीच पैठ एक अहम कारक है। इसके अलावा महिला मतदाताओं का रुझान एक निर्णायक भूमिका निभाएगा। केजरीवाल ने महिला सम्मान योजना की घोषणा कर सूझबूझ का परिचय दिया है।
उन्होंने महाराष्ट्र चुनावों का उदाहरण दिया, जहां अभी हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ‘लाड़की बहीन योजना’ भारी पड़ी और महायुति गठबंधन ने भारी बहुमत से सत्ता में वापसी की। जबकि महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का ध्वस्त होना भ्रष्टाचार ही नहीं अपितु बहुत भावनात्मक मुद्दा था।
दिल्ली की राजनीति पर स्थानीय पत्रकारों की विवेचना पर बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह कहते हैं कि
राजनीतिक तौर पर केजरीवाल बहुत सूझबूझ वाले माने जाते हैं। वह समय के साथ विपक्ष की रणनीति बढ़ने में माहिर हैं। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने बीजेपी के नैरेटिव को जड़ नहीं पकड़ने दी। मध्य वर्ग भी केजरीवाल पर भ्रष्टाचार को राजनीति मानती है। झुग्गी झोपड़ी और निम्न मध्यवर्गीय इलाक़ों में भी केजरीवाल की छवि अभी भी बरक़रार है। अपनी योजनाओं से केजरीवाल ने इसे और मज़बूत ही किया है।
वो यह भी कहती हैं कि बीजेपी और कांग्रेस की ओर से तमाम तीखे हमलों के बावजूद ‘यह चुनाव भी केजरीवाल के इर्द-गिर्द ही रहने वाला है।