- मनुस्मृति दहन दिवस के हुए 97 साल पूरे
- अमित शाह द्वारा बाबासाहेब आंबेडकर पर दिए गए आपत्तिजनक बयान का किया विरोध
अररिया 25 दिसंबर I मनुस्मृति दहन दिवस के 97वीं वर्षगांठ पर जन जागरण शक्ति संगठन से जुड़े युवाओं ने महादेव चौक से अररिया धरना स्थल तक रैली निकाली और मनुस्मृति को दहन किया । रैली में बाबा साहब अंबेडकर को याद करते हुए नौजवानों ने खूब उत्साह दिखाया । अमित शाह के बाबा साहब आंबेडकर पर किए गए आपत्तिजनक बयान का पुरजोर विरोध भी किया गया और “जय भीम जय भीम, जय जय जय जय भीम” , “आंबेडकर, आंबेडकर” “जातिवाद धोखा है खत्म करो मौका है”, के खूब नारे लगे। नीले और लाल झंडा लेकर युवाओं ने आंबेडकर को एक मजदूर नेता के रूप में भी याद किया।
आज ही के दिन 1927 में बाबा साहब अंबेडकर ने महाड़ तलाब पर मनुस्मृति को दहन किया था । बाबा साहब अंबेडकर को मानने वाले देश भर के सैंकड़ों संगठन इस दिन जाति व्यवस्था के विरोध में प्रतीकात्मक रूप से मनुस्मृति का दहन करते हैं ।
जन जागरण शक्ति संगठन से जुड़े युवा फुलेश्वर ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हम आज भी जाति व्यवस्था से पीड़ित हैं । हमे आज के दिन से जाती उन्मूलन के लिए संघर्ष की प्रेरणा मिलती है ।
जयमती ने कहा कि मनुस्मृति में दलितों और महिलाओं के लिए ढेर सारी आपत्तिजनक बातें हैं । यह किताब शूद्रों और अतिशूद्रों के लिए शोषण का हथियार है इसलिए बाबा साहब आंबेडकर ने 1927 में सार्वजनिक तौर पर इसे जलाया था। हमने भी मनुस्मृति को प्रतीकात्मक रूप से आज जलाया ।
सुनील ने कहा कि हम युवा अच्छी तरह से सुने कि अमित शाह ने कैसे आंबेडकर का अपमान किया । हम बार बार उनका नाम लेंगे ताकि हमें जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा मिले ।
रैली को शिवनारायण , जितेंद्र पासवान, सुनील, सुलोचना, आदिल, मुन्ना ने संबोधित किया । संचालन फुलेश्वर ने किया।
इस रैली को सफल बनाने में सुनील, गोपाल, पवन कुमार राम , गौतम, गोविंद, प्रियंका, लक्ष्मी, ज्योति , सुलोचना की सक्रिय भूमिका रही।