= आधुनिक मदरसा शिक्षकों के सामने रोज़गार का संकट खड़ा क्यों हो गया है
= इन शिक्षकों के साथ-साथ यहां पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर में है: रिपोर्ताज
दुर्केश बहादुर सिंह, संपादकीय प्रभारी नजरिया न्यूज, 12नवंबर।
मीडिया रिपोर्ट मैं मदरसों में
अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान और हिन्दी पढ़ाने के लिए रखे शिक्षकों साथ दे रही भारत सरकार ने साथ देना बंद क्यों कर दिया है। भारत सरकार द्वारा साथ नहीं देनो से उत्तर प्रदेश सरकार का भी अंश मदरसा शिक्षकों को मिलना बंद हो रहा है।यह जानकारी मीडिया में सुर्खियां बटोर रही हैं।
जानकारी के मुताबिक ये स्कीम 1993-94 में शुरू की गई थी, जिसमें 60 फ़ीसदी ख़र्च भारत सरकार को और 40 फ़ीसदी राज्य सरकार को देना था।
अब इन शिक्षकों के साथ-साथ यहाँ पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर में है।यूपी के मदरसों में आधुनिक शिक्षा के लिए नियुक्त शिक्षकों के मानदेय में केंद्र सरकार का अंश 2017 से और राज्य का अंश 2022-2023 से नहीं मिल रहा है।मदरसा शिक्षकों कई शिक्षकों की पेट भरने की मजबूरी के चलते पढ़ाने के साथ-साथ कोई दूसरा रोज़गार भी करना पड़ रहा है।कई मदरसा शिक्षक सांसदों और विधायकों के चौखट पर अपनी लाचारी बयां कर रहे हैं। ग्राम प्रधानों में भी इसकी चर्चा है। इनका कहना है:
कुछ मदरसों की प्रबंधन समिति थोड़े पैसे देकर इन शिक्षकों का काम चला रही है ताकि बच्चों का भविष्य न ख़राब हो लेकिन ये पैसा इतना कम है कि पेट भरने का काम भी मुश्किल चल रहा है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ सबका विश्वास का नारा दिया था। आखिर ऐसी कौन सी विवशता है कि उन्हीं प्रधानमंत्रित्व काल में उक्त नारा काल के पेट में समा रहा है।