अनिल उपाध्याय, नजरिया न्यूज पूर्वांचल ब्यूरो, उत्तर प्रदेश, 30जनवरी।
आज शहीद दिवस है। आज ही के दिन गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे ने कर दी थी, लेकिन गांधी जी के विचार आज भी शाश्वत हैं। यह बात गांधीवादी विचारक डॉ.राकेश पाठक ने कही। वे भोपाल में उपवास पर बैठे हैं। सोशल मीडिया पर लाइव आते हुए उन्होंने कहा:
गांधी जी को शब्द की हिंसा भी स्वीकार नहीं थी। सोशल मीडिया में शब्द की हिंसा का खुलेआम उपहास उड़ाया जा रहा है। पत्रकार होने के नाते शब्द की हिंसा बंद हो, इसलिए उपवास पर बैठा हूं। मुझसे जाने अनजाने में शब्द की हिंसा हो गई हो तो उसके लिए प्रायश्चित करता हूं। क्षमा प्रार्थी हूं।
दूसरा उद्देश्य सार्वजनिक है। आज भी गांधी जी के चरित्र की हत्या की जी रही है। उन्होंने कहा:हे प्रभु! ऐसे लोगों को सद्बुद्धि दीजिए। इसीलिए गांधी भवन भोपाल में शामतक उपवास व्रत पर बैठा हूं।
हमारी संस्कृति में अहिंसा समाई हुई है। आज समाज और सोशल मीडिया इससे दूर क्यों हो रहा है। यह सवाल पत्रकार प्रशांत कुमार का है। डॉ.राकेश पाठक ने कहा: गांधी जी मनुवादी व्यवस्था का उन्मूलन करना चाहते थे। जो लोग जाति और मनुवादी व्यवस्था के पोषक हैं, वहीं लोग आज भारत की अहिंसा की संस्कृति की हत्या करवा हैं।
इससे पहले पत्रकार प्रशांत कुमार ने बताया: गांधी जी की हत्या का पहला प्रयास 1934 में किया गया था। उस समय गांधी जी पूणे में थे। छूआछूत के विरोध में आयोजित जनसभा को संबोधित करने जा रहे थे। उस समय उंनकी कार पर बम फेंका गया था। डॉक्टर राकेश पाठक ने कहा: सही है। मनुवादी व्यवस्था के पोषक ही गांधी जी के चरित्र की हत्या कर रहे हैं। क्योंकि 1934में पाकिस्तान शब्द का वजूद तक नहीं था। गांधी जी हत्या के पीछे सिर्फ भारत विभाजन एक कारण नहीं था। द्विराष्ट्र का सिद्धांत भी इसका एक उदाहरण है। इसका साहित्य आज भी मौजूद है। राष्ट्रपिता बापू तो विभाजन रोकने के लिए अपना प्राण तक न्यौछावर करने के लिए तैयार थे।
डॉक्टर राकेश पाठक ने बताया; दूधिया के 100देशों ने गांधी जी पर डाक टिकट जारी किया है। ईसा मसीह और महात्मा बुद्ध के बाद दुनिया में सबसे अधिक प्रतिमाएं गांधी जी की हैं। दुनिया में जीवनी गांधीजी की सबसे अधिक हैं। ना जाने कितने लोगों ने गांधी जी के मार्ग पर चलकर देश को आजाद कराया है। जिस ब्रिटिश साम्राज्य को गांधीजी के कारण देश छोड़कर जाना पड़ा, उस ब्रिटिश साम्राज्य के संसद भवन के सामने लाठी लेकर खड़े हैं हमारे बाबू। ब्रिटिश में डाक टिकट सिर्फ राज परिवार पर जारी हो सकता है। उस देश में सिर्फ राष्ट्रपिता बापू पर डाक टिकट जारी हुआ है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी दूसरे देश में जाकर कहना पड़ता है :मैं गांधी जी के देश आया हूं। पत्रकार प्रशांत ठीक इसके बाद कहते हैं: भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को देना पड़ता है। राहुल गांधी मोहब्बत की दुकान खोलकर क्या राष्ट्रपिता बापू के रास्ते पर चल रहे हैं। राकेश पाठक ने कहा: राजनैतिक दल को मोहब्बत की दुकान खोलने से वोट मिल रहा है तो अच्छी बात है।
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नजरिया न्यूज फारबिसगंज/अररिया। जिला प्रशासन व अनुमंडल प्रशासन द्वारा ईद-ए-मिलादुलनबी/जुलूसे मोहम्मदी की पूर्व संध्या पर विधि-व्यवस्था के मद्देनजर पूरे फारबिसगंज...