प्रसव संबंधी जटिलताओं का प्रबंधन के साथ सुरक्षित व संस्थागत प्रसव मामलों में हुई है बढ़ोतरी
अररिया, 10 जून।
गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व बेहतर चिकित्सकीय देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान सरकार के महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजनाओं में शुमार है। अभियान के तहत हर महीने की 10 व 21 तारीख को जिले में गर्भवती महिलाओं की जांच को लेकर विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में सोमवार को भी जिले के आयोजित पीएमएसएम अभियान बेहद सफल रहा। हाल के दिनों में जिले में पीएमएसएमए अभियान के सफल क्रियान्वयन व इसके तहत गर्भवती महिलाओं को उपलब्ध कराई जाने वाले चिकित्सकीय सुविधाओं की बेहतरी को लेकर किया गया विभागीय प्रयास अब असरदार साबित हो रहा है। इसकी मदद से हाई रिस्क प्रिगनेंसी मामलों की समय पर पहचान आसान हुआ है। लिहाजा इसका कुशल प्रबंधन करते हुए सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने संबंधी विभागीय प्रयासों को मजबूती मिली है।
पीएमएसएमए को प्रभावी बनाने के लिये किये गये कई पहल
पीएमएसएमए अभियान को लेकर किये गये सुधारात्मक प्रयासों की जानकारी देते हुए पिरामल फाउंडेशन के पीएम डॉ सनोज ने बताया कि अभियान को अधिक प्रभावी व उपयोगी बनाने के उद्देश्य से पीएमएसएम सत्र के चयन, साइटों पर कुशल व दक्ष स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति, सभी सत्रों पर जरूरी लॉजिस्टिक व दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को लेकर जरूरी पहल की गयी है। इसे लेकर संबंधित कर्मियों को जरूरी प्रशिक्षण भी दिया गया। अभियान को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से इससे जुड़ी कमियों को चिह्नित करते हुए इसका निराकरण किया गया। लिहाजा जांच कराने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई। वहीं इससे जटिल मामलों का कुशल प्रबंधन भी आसान हुआ है। इससे सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिल रहा है।
हाई रिस्क प्रिगनेंसी मामलों की पहचान को मिला बढ़ावा
डीपीएम स्वास्थ्य संतोष कुमार ने बताया कि पीएमएसएमए अभियान के सफल आयोजन व इसमें गुणात्मक सुधार को लेकर किये गये प्रयासों की मदद से हाई रिस्क प्रिगनेंसी मामलों की पहचान पहले से आसान हुआ है। इसकी संख्या में भी बढ़ोतरी दिख रहा है। उन्होंने बढ़ रहा है बीते अप्रैल माह में एएनसी जांच संबंधी मामले में जिले की उपलब्धि 112 फीसदी के करीब था। अप्रैल माह में हाई रिस्क प्रिगनेंसी के कुल 2003 मामले चिह्नित किये गये थें। वहीं बीते मई महीने में संबंधित मामले में जिले की उपलब्धि 89 फीसदी के करीब है। वहीं हाई रिस्क प्रिगनेंसी के कुल 2235 मामले चिह्नित किये गये। जो संबंधित मामले में जिले के प्रदर्शन में सुधार को दर्शाता है।
प्रसव संबंधी जटिल मामलों की समय पर पहचान जरूरी
जिले में गर्भवती महिलाओं को जरूरी चिकित्सकीय सुविधाओं का लाभ उपलब्ध कराने की दिशा में कारगर पहल किये जा रहे हैं। प्रसव संबंधी जांच को अधिक सुलभ व आसान बनाने के उद्देश्य से पीएमएसएमए अभियान का सफल क्रियान्वयन जरूरी है। अभियान की मदद से प्रसव संबंधी जटिल मामलों की ससमय पहचान को प्राथमिकता दी जा रही है। ताकि जिले में सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने बताया कि जच्चा-बच्चा की सुरक्षा, मां से बच्चों में होने वाले गंभीर संक्रामक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने व गर्भवती महिलाओं को परिवार नियोजन, उचित पोषाहार व स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक करने, प्रसव पूर्व व इसके बाद स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जरूरी चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने की दिशा में उन्होंने पीएमएसएमए अभियान के सफल क्रियान्वयन को महत्वपूर्ण बताया।