रानीगंज। शिक्षा की जगमगाती लौ जलाने वाली महान समाजसेविका, नारी सशक्तिकरण की प्रतीक एवं कलावती स्नातक महाविद्यालय की संस्थापिका पद्मश्री स्वर्गीय कलावती देवी जी की 37वीं पुण्यतिथि स्थानीय कलावती स्नातक महाविद्यालय, कलावती नगर, रानीगंज में सादगी, भव्यता और गरिमा के साथ मनाई गई।
रविवार को कॉलेज परिसर के विशाल सभागार में आयोजित इस स्मृति-समारोह की शुरुआत कलावती देवी जी की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन कर की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्या प्रो. रूपा रानी ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय शासी निकाय के सचिव श्री जगदीश प्रसाद जायसवाल एवं पूर्व प्राचार्य डॉ. दयानंद राउत उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक प्रतिनिधि डॉ. अवधेश कुमार ने किया।
“अंधविश्वास और निरक्षरता के बीच शिक्षा की अलख जगाने वाली थीं कलावती देवी” – प्राचार्या
प्राचार्या प्रो. रूपा रानी ने अपने संबोधन में कलावती देवी के संघर्षों को याद करते हुए कहा—
“उन्होंने उस दौर में लड़कियों की शिक्षा के लिए मशाल जलाई, जब समाज रूढ़िवादी सोच, निरक्षरता और गरीबी की जकड़न में था। कलावती देवी न होतीं, तो रानीगंज की बेटियों के लिए शिक्षा का यह समृद्ध मार्ग संभव नहीं होता।”
“नारी शिक्षा की जीवंत प्रेरणा थीं पद्मश्री कलावती देवी” – सचिव जायसवाल
मुख्य अतिथि श्री जगदीश प्रसाद जायसवाल ने नारी शिक्षा के लिए कलावती देवी की अनोखी साधना को याद करते हुए कहा—
“1968 में लड़कियों के लिए पहला प्राइमरी स्कूल, फिर कलावती कन्या मध्य विद्यालय, प्लस टू हाई स्कूल और वर्ष 1983 में कलावती स्नातक महाविद्यालय की स्थापना… यह सब उनकी शिक्षा के प्रति अमर आस्था का प्रमाण है। पूर्णिया प्रमंडल में नारी शिक्षा की वह पहली मशाल थीं।”
उन्होंने कहा कि समाजसेवा एवं शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें मिला पद्मश्री सम्मान पूरे क्षेत्र के लिए गर्व की बात है।
“माता कलावती देवी विद्या की प्रतिमूर्ति थीं” – पूर्व प्राचार्य
पूर्व प्राचार्य डॉ. दयानंद राउत ने कहा—
“यह महाविद्यालय उनकी दूरदृष्टि और तप का फल है। उनके द्वारा बोया गया शिक्षा का पेड़ आज वटवृक्ष बनकर समाज को उच्च शिक्षा के नए अवसर दे रहा है। वे सचमुच विद्या की देवी थीं।”
श्रद्धांजलि और संकल्प
कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षक, कर्मी और छात्र-छात्राओं ने दो मिनट का मौन रखकर पद्मश्री कलावती देवी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया।इस अवसर पर डॉ. अब्दुर रऊफ, प्रो. सुनील प्रधान, प्रो. प्रभाष चन्द्र यादव, प्रो. तनवीर आलम अंसारी, प्रो. विद्यानंद महतो, प्रो. नीलम कुमारी, प्रो. अंजली कुमारी, डॉ. सुबोध मंडल, प्रो. ज्ञानेश कुमार झा, राहुल कुमार मंडल, संजय दत्ता, रमेश साह, सत्यनारायण यादव, मुस्कान कुमारी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ एवं महाविद्यालय कर्मचारी उपस्थित थे।कार्यक्रम का समापन कलावती देवी के आदर्शों को समाज में प्रसारित करने के संकल्प के साथ हुआ।रानीगंज की धरती आज भी उनकी शिक्षा-दीप की रोशनी में आलोकित है।

















