- गरीब की जेब से पैसा निकलकर तीन प्रतिशत अमीरों के पास पहुंच रहा है…
- देश के टॉप 200 कंपनियों के सीनियर मैनेजमेंट में दलित -पिछड़े और गरीब जनरल की संख्या शून्य है…
- मालिक भी शून्य हैं,देश को चलाने वाले 90व्यूरोक्रेट में दलित पिछड़े केवल 30 हैं..
- देश के एक रुपये में दलित पिछड़ों के हिस्से केवल 6.70रुपये आते हैं…
- आईएएस प्री परीक्षा क्वालीफाई करने वाले युवाओं की सरकारी नौकरी तो सुनिश्चित होनी ही चाहिए। इसी प्रकार राज्य सरकारों की प्रशासनिक सेवा की नौकरियों में प्री क्वालीफाई करने वालों की सरकारी नौकरी मिलनी ही चाहिए। परीक्षा दर परीक्षा युवाओं की लेनी एक प्रकार से उनके समय को बर्बाद करना है।इसके लिए कानून का अभाव जिम्मेवार है: वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह
दुर्केश सिंह, संपादकीय प्रभारी, उतर प्रदेश,19फरवरी। यदि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आज विपक्ष की राजनीति कर रहे होते तो निश्चित ही राहुल गांधी की तरह देश के अंदर आजाद भारत की तस्वीर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ और अमेठी जिले में
बयां कर रही होते। अधिकार के लिए संगठित हो जाने का आह्वान कर रहे होते।
बेरोज़गार गरीब, राष्ट्रपिता से कह रहे तो:
कांग्रेस पार्टी से असंतुष्ट होने के बाद भगवान राम के आदर्श पर चलने और रामराज्य की संकल्पना करने वाली भाजपा को देश का बागड़ोर थमाया हूं। लेकिन बेरोज़गार शिक्षित युवकों को भगवान राम ने न्याय दिया है। बेरोज़गार युवा बापू से मांग रहे होते कि
सरकारी नौकरी के इस प्रकार का कानून देश में होना चाहिए:
केवल हाईस्कूल क्वालीफाई करने वालों को स्वरोजगार या प्राइवेट नौकरी करनी पड़ेगी। इंटरमीडिएट क्वालीफाई स्टूडेंटों में टॉप 10टेन को पांच वर्ष में सेना या चतुर्थ में सरकारी नौकर मिल जाएगी। बीए करने वाले टॉप 01प्रसेंट आइएएस की परीक्षा में बैठे सकेंगे। इस परीक्षा में 30 प्रतिशत अंक लाने वाले युवा प्रदेश सरकार की प्रशासनिक सेवा में जाएंगे। शेष अन्य परास्नातक करने के पात्र होंगे। प्रोफेसर या वैज्ञानिक बनेंगे। शेष बिजनेस मैनेजमेंट कोर्स करेंगे या एलएलबी करेंगे। वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह ने कहा:
युवाओं के फ्यूचर और टाइम मैनेजमेंट को लेकर आजतक देश में कोई कानून नहीं है। सरकारी नौकरी के चक्कर में युवाओं का स्वर्णिम काल कब निकल जाता है, पता ही नहीं चलता। आर्थिक संपन्नता जिस परिवार में हैं, उस परिवार के बेरोज़गार युवा सरकारी नौकरी का फार्म भरने और यात्रा करने में हर वर्ष लाख रुपये से अधिक रुपये डूबा देते हैं। अन्य निराशा के शिकार होकर जीवन गुजारते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह ने आगे कहा:
मेरे साथ प्रयागराज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले कई मित्र सरकारी नौकरी के चक्कर में 30 वर्ष आयु तक समय प्रयागराज यूनिवर्सिटी में रहकर तैयारी में गुजार दिए। लेकिन, सरकारी नौकरी नहीं मिली।सरकार की सरकारी नौकरी को जनरल परीक्षा और आइएएस परीक्षा से जोड़ने पर विचार करना चाहिए। आईएएस प्री परीक्षा क्वालीफाई करने वाले युवाओं की सरकारी नौकरी तो सुनिश्चित होनी ही चाहिए। इसी प्रकार राज्य सरकारों की प्रशासनिक सेवा की नौकरियों में प्री क्वालीफाई करने वालों की सरकारी नौकरी मिलनी ही चाहिए। परीक्षा दर परीक्षा युवाओं की लेनी एक प्रकार से उनके समय को बर्बाद करना है।इसके लिए कानून का अभाव जिम्मेवार है।