दुर्केश सिंह, संपादकीय प्रभारी नजरिया न्यूज, बिहार/उत्तर प्रदेश, 27जनवरी।
= शिक्षक, नेता, जननेता, विधायक, सोशल मीडिया और मेन मीडियाभी समय को परखने में असफल:
लल्लन सिंह और संजय झा का क्या रोल है? अशोक चौधरी कौन है? क्या 28को नीतीश कुमार शपथ ले सकते हैं? फिलहाल अभी तक कैमरे पर ऐसी खबर नहीं आई है। नीतीश कुमार की छवि पूरी तरह खत्म हो जाएगी। गोदी मीडिया ने बड़ा प्लान कर दिया। विश्वसनीयता की मौत हो गई। एक बुराई को इतिहास कभी नहीं भूल सकेगा। ये सारी बातचीत सोशल मीडिया पर बिहार प्रदेश के पत्रकार और राष्ट्रीय राजनीति में विशेष दखल रखने वालों के बीच लाइब बातचीत पर आधारित है। फिलहाल एक बार फिर दांव पर बिहार की जनता की मतदान के समय कि भावनाएं हैं।
एक और लाइव बातचीत के लब्बोलुआब को देखते हैं:
बिहार में एक बड़ा राजनैतिक खेल खेला जा रहा है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा संविधान को बचाने को लेकर पश्चिम बंगाल में है। नीतीश कुमार 1994 में लालू यादव और जार्ज फर्नांडिस का जनता दल छोड़कर समता पार्टी का गठन किया था।2003 समता पार्टी जदयू बन गई। 2005से02013 तक बीजेपी के साथ नीतीश कुमार ने सरकार चलाई। 2015 में राजद के साथ आ गए। 2017में बीजेपी के साथ चले गए। 2022में राजद के साथ चले गए। नीतीश कुमार ने इस मौके पर कहा: मर जाना कबूल है, लेकिन उनके साथ फिर जाना कबूल नहीं होगा। बीजेपी की तरफ से गृहमंत्री अमित शाह ने उस समय कहा था: नीतीश कुमार और कल्लन के लिए भाजपा का दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो गया है। आज की बातचीत में मनोज कुमार झा ने मीडिया से कहा:आल इज वेल!
फिलहाल सुनिए संविधान छतरी के नीचे जो कुछ चल रहा है:
बिहार की राजनीति बहुत नजदीक से देख रहे प्रेम कुमार ने कहा: नीतीश कुमार एनडीए में नहीं जा रहे हैं।मूल कारण है नीतीश कुमार को बीजेपी पर भरोसा नहीं है।वैसे मैं जो कुछ कहता हूं, उसके उलट हो जाता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा था नीतीश कुमार बीजेपी में आते हैं :मैं अपनी पगड़ी ही उतार दूंगा। इन सबके बावजूद अंदरखाने में बहुत कुछ घटित हुआ है। नीतीश कुमार प्रेशर पोलिटिक्स के उस्ताद माने जाते हैं। नीतीश कुमार अपनी पुरानी ताकत पाने के लिए लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ चाहते हैं। यह प्रस्ताव राजद को नहीं सूट कर रहा है। भाजपा को भी नहीं सूट कर रहा है। लेकिन 45विधायक वाले जदयू को सूट करता है। वह अपनी पुरानी ताकत पाना चाहते हैं। नीतीश कुमार महागठबंधन को ताकतवर बनाना चाहते हैं। नीतीश कुमार की मारक क्षमता महागठबंधन में रहने से बढ़ रही है।
स्थिर मन की राजनीति क्यों नहीं चाहते नीतीश कुमार?
पत्रकार अनिल सिन्हा ने कहा:
प्रशांत टंडन:राजद के पास और उनके समर्थकों को मिलाकर 112 विधायक हैं। जदयू के पास 45 विधायक हैं। अंदरखाने की खबर यह है कि आधे से अधिक विधायक जदयू को छोड़ने के लिए तैयार हैं। इसलिए नीतीश कुमार तभी जाएंगे जब सभी चीजें इन्श्योर हो जाएंगी।
अमरेंद्र उपाध्याय: नीतीश कुमार की विश्वसनीयता इंडिया गठबंधन में कम करने के लिए ब्रेकिंग खबर चलाई जा रही है। ऐसा क्यों नहीं हो सकता। भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार की राजनीति खत्म करना चाहती है।
फिलहाल 27जनवरी की रात नौ बजे तक शिक्षक, नेता, जननेता, विधायक, सोशल मीडिया और मेन मीडिया में भी समय को परखने में असफल रही। लोकसभा चुनाव 2024-बिहार में महाभारत होने जो हो रहा है। भगवान श्रीकृष्ण:जो हो रहा अच्छा हो रहा है-जो होगा, वह अच्छा होगा ।