मीरा प्रवीण वत्स, विशेष संवाददाता नजरिया न्यूज, 19जुलाई।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि इंसान पहले सुपरमैन, फिर देवता और उसके बाद भगवान बनना चाहता है। इससे पहले उन्होंने कहा था- काम करने वाले को अहंकार नहीं पालना चाहिए कि मैंने किया। लेने से अधिक देना हमारी संस्कृति है।
भागवत के इन बयानों को राहुल गांधी की आर्थिक नीतियों से जोड़ कर देखा जा रहा हैं। इसे श्री भागवत की भाजपा की मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को नसीहत भी माना जा रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत पिछले एक सप्ताह से झारखंड में हैं। तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तर के प्रांत प्रचारकों (क्षेत्रीय प्रमुख) की बैठक में शामिल होने के लिए वे 12 जुलाई को झारखंड की राजधानी रांची पहुंचे थे। 18 जुलाई को वे गुमला जिले के बिशुनपुर में थे। वहां उन्होंने स्वयंसेवी संस्था विकास भारती द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की।
इस दौरान उन्होंने जो भी कहा, हर आदमी पर लागू होती है। लेकिन इसके राजनीतिक अर्थ भी निकाले जा रहे हैं।
ऐसा इसलिए कि बीते सवा महीने में दो मौकों पर मोहन भागवत के जिस तरह के बयान आए हैं, उसमें किसी के नाम का उल्लेख तो नहीं है, लेकिन समय और संदर्भ से लोग यही अनुमान लगाते रहे हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों को लक्ष्य कर उन्होंने ये बातें कहीं।
मोहन भागवत ने कहा :
हाथी द्वारा फुटबॉल खेलना, बंदर द्वारा साइकिल चलाना और शेर और बकरी का एक साथ भोजन करना कदापि विकास नहीं है। इससे पैसा तो आता है। फिर भी यह विकास नहीं है। सर्कस है।
समग्र विकास ही विकास भारती का सपना है। शेर का अहिंसक हो जाना प्रकृति के नियम के विरुद्ध है।
अडानी और अंबानी का नाम लिए बिना आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा:
तथाकथित प्रगतिशील लोगों को जानना होगा- जितना लिया, उससे ज्यादा दिया। यह भारतीय संस्कार है। हम घर पर रहते थे। कभी -कभई सब्जी खरीदने जाते थे। जितने रुपये सब्जी बेंचने वाले को देते थे। उतने रुपये की सब्जी वह तौलकर देता था। इसके बाद भी हरी धनियों की पत्तियों का गट्ठर खोलकर अलग से धनिया दे देता था। यह संस्कार किसी प्रवचन में नहीं मिलेगा।
जिससे सभी का विकास
नहीं हो, वह ही विकास नहीं है।
कबीर दास की उस कहावत को बतौर उदाहरण रखा :
बड़ा हुआ तो क्या हुआ
जैसे पेड़ खजूर
पक्षी को छाया नहीं
फल लागे अति दूर!!!
उन्होंने कहा:हाथी, फुटबॉल खेले और बंदर साइकिल चलाएं, यह विकास नहीं है। ओलंपिक पदक जीतकर इंसान लाए, यह भारत का विकास है।