- धोखाधड़ी के तहत इंदिरा आवास के नाम पर किए गए हस्ताक्षर की जांच आवश्यक
- फारबिसगंज में भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग
- सीओ के गैरकानूनी कदम से सरकारी संपत्ति को खतरा
नजरिया न्यूज़ फारबिसगंज/अररिया। अररिया जिले के फारबिसगंज में भू-माफियाओं का एक नया मामला उजागर हुआ है, जिसमें पीपीएसटी (बिहार सरकार की जमीन) की खुलेआम खरीद-फरोख्त की जा रही है। इस गतिविधि में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग की संभावना ने सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, भू-माफियाओं ने एक भूखंड को इंदिरा आवास योजना के नाम पर धोखे से जमीन के मालिक से दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवा लिए हैं। यह कार्रवाई न केवल अनैतिक है, बल्कि सरकारी संपत्ति के खिलाफ भी एक गंभीर अपराध है। इसके अलावा, फारबिसगंज के अंचलाधिकारी द्वारा बिना किसी उचित जांच के PPST की जमीन का मोटेशन करना भी गैरकानूनी है।
मामला 2013-14 का धोखे से जमीन खरीद बिक्री
दरअसल मामला फारबिसगंज प्रखंड के मटियारी पंचायत में 2013-14 में सरकारी PPST जमीन की खरीद-फरोख्त का था, जिसमें भू-माफियाओं ने इंदिरा आवास दिलाने के नाम पर धोखे से जितनी देवी के पिता की लाल कार्ड की 10 डिसमिल जमीन लिखवा ली। यह धोखाधड़ी तब हुई जब जितनी देवी को बताया गया कि दस्तखत करने पर उनके इंदिरा आवास का काम होगा। जब जितनी देवी को अपने साथ हो रहे अन्याय का पता चला, तब उन्होंने देखा कि उनकी जमीन की घेराबंदी की जा रही है। पूछने पर भू-माफियाओं ने कहा कि उनकी जमीन बिक चुकी है। इसके बाद, माफियाओं ने पंचायत स्तर पर खेती की जमीन देने की पेशकश की, लेकिन वह भी हासिल नहीं हुई थी। थक-हारकर जितनी देवी ने जिला पदाधिकारी से गुहार लगाई और अपनी जमीन वापस दिलाने की मांग की थी। उस दौरान मसोमात जितनी देवी कई रातें फारबिसगंज रेलवे स्टेशन पर बिताईं।
25 अक्टूबर 2016 को फारबिसगंज थाना परिसर में एक पंचायत बुलाई गई
25 अक्टूबर 2016 को फारबिसगंज थाना परिसर में एक पंचायत बुलाई गई, जिसमें वर्तमान थाना अध्यक्ष मुकेश शाह, मुखिया प्रदीप कुमार देव, सरपंच लक्ष्मी पासवान और अन्य ग्रामीणों की मौजूदगी में इकरारनामा तैयार किया गया। पंचायत ने निर्णय लिया कि वीरेंद्र ठाकुर और कन्हैया लाल टंडन धोखे से ली गई PPST जमीन को वापस करेंगे। लेकिन इस निर्णय के बावजूद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे स्थानीय निवासियों का विश्वास प्रशासन से उठ गया है।
अनुमंडल पदाधिकारी को आवेदन
फारबिसगंज में भू माफियाओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। पीपीएसटी (बिहार सरकार की जमीन) पर अवैध निर्माण कार्य को रोकने के लिए स्थानीय निवासी राजकुमार गोस्वामी ने 19 जुलाई 2024 को अनुमंडल पदाधिकारी को आवेदन दिया था। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस अनदेखी से स्पष्ट हो रहा है कि भू माफियाओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ प्रशासन की कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
राजकुमार गोस्वामी का कहना है कि उनके पिता के नाम से प्राप्त पीपीएसटी की जमीन पर उनका और उनकी बहन के परिवार का अधिकार है। हाल ही में उन्होंने देखा कि हेमंत गोस्वामी, जो वार्ड नंबर 4 के निवासी हैं, ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर इस जमीन को रजिस्ट्री करवा लिया है। राजकुमार के अनुसार, उनके कच्चे घर को जबरदस्ती गिरा दिया गया और भूमि पर स्थित विशाल पीपल के वृक्ष को काटकर हटा दिया गया। राजकुमार ने प्रशासन से अपील की है कि वह इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई करें और भूमाफियाओं की गतिविधियों को रोकें।
बिहार में भूमि खरीद-फरोख्त की बढ़ती घटनाएँ
बिहार में भूमि खरीद-फरोख्त की बढ़ती घटनाओं ने जिला प्रशासन की नाक के नीचे कानून की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। आम नागरिकों की जमीन की तो बात छोड़िए, अब बिहार सरकार की भूमि भी भूमिया के निशाने पर आ चुकी है। यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि सरकारी जमीन का अवैध अधिग्रहण बढ़ रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से धारा 144 लागू कर दी है, जिससे निर्माण कार्य पर रोक लगाई जा सके। फिर भी, सवाल यह उठता है कि क्या जिला प्रशासन ऐसे मामलों में ठोस कानूनी कार्रवाई करने का साहस दिखाएगा?
अंचल पदाधिकारी ने आरटीआई के माध्यम से दी जानकारी
फारबिसगंज प्रखंड में एक विवादास्पद भूमि बिक्री ने स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के अनुसार, यह भूमि बिहार सरकार की PPST (प्राथमिक पंजीकरण भूमि) है। अंचल पदाधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार, यह जमीन P.P.S.T CASE NO. 07/74-75 के तहत भुवनेश्वर गोस्वामी के नाम है। 2016 में विमला देवी ने 6.7 डिसमिल जमीन संगीता देवी को बेच दी, जिसका PPST CASE NO. 00095/14-15 है।
हालांकि, अंचल पदाधिकारी ने 2022 में बिना उचित जांच के इस सरकारी जमीन का नामांतरण एक अन्य खरीदार के नाम कर दिया। संगीता देवी ने बाद में इसी भूमि को हेमंत गोस्वामी को बेचने का प्रयास किया, जो 2016 में हुए इकरारनामे का उल्लंघन है। यह स्थिति स्थानीय निवासियों के लिए चिंता का विषय बन गई है, और इसे गंभीर जांच की आवश्यकता है।
जिला पदाधिकारी अररिया को दिया आवेदन
गोस्वामी ने 2 अगस्त 2024 को जिला पदाधिकारी अररिया को एक आवेदन दिया, जिसमें उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय भुवनेश्वर गोस्वामी के नाम से मिली भूमि की वापसी की गुहार लगाई है। आवेदन में उल्लेख है कि वह और उनकी बहन का परिवार इस भूमि पर शांति से निवास कर रहे हैं। हाल ही में, राजकुमार को पता चला कि हेमंत गोस्वामी, जो कि मोहित गोस्वामी का पुत्र है, ने अपनी पत्नी बबीता कुमारी के नाम से इस भूमि की अवैध रजिस्ट्री करा ली है। इसके बाद हेमंत गोस्वामी और नित्यानंद राय ने मिलकर राजकुमार का कच्चा घर उड़ा दिया और वहां मौजूद विशाल पीपल के वृक्ष को भी काट दिया। जब राजकुमार ने इसका विरोध किया, तो हेमंत और नित्यानंद ने उन्हें गालियां देते हुए धमकी दी कि यदि वह इस मामले से पीछे नहीं हटते, तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई।
स्थानीय निवासियों की सुरक्षा की चिंता
राजकुमार ने कहा, “मैंने एसडीएम, एसडीपीओ, फारबिसगंज थाना अध्यक्ष और अंचल पदाधिकारी को आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हेमंत गोस्वामी के पास भूमि के किसी भी प्रकार के वैध दस्तावेज नहीं हैं। मैं भूमिहीन हूं और यह भूमि मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।” राजकुमार ने स्पष्ट किया कि यदि निकट भविष्य में उनके या उनके सहयोगी सोनू शर्मा के साथ कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी हेमंत गोस्वामी की होगी।
नज़रिया न्यूज की टीम ने अनुमंडल पदाधिकारी शैलजा पांडे से संपर्क
यह मामला तब गरमाया जब राज कुमार साह ने पीपीएसटी भूमि के संबंध में अनुमंडल कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने अवैध बिक्री का आरोप लगाया। इस विषय पर जब नवबिहार24 की टीम ने अनुमंडल पदाधिकारी शैलजा पांडे से संपर्क किया, तो उन्होंने मीडिया के सामने बयान देने से साफ इनकार कर दिया। हालांकि, एक अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि वे पहले मामले की जांच कराएंगी, इसके बाद ही कोई आधिकारिक बयान जारी किया जाएगा।
स्थानीय लोगों का मानना है कि शैलजा पांडे ने हमेशा अवैध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी है और जरूरत पड़ने पर सख्त कार्रवाई भी की है। लेकिन अब यह देखना होगा कि बिहार सरकार कब तक इस मामले में कार्रवाई करती है और कब तक राज कुमार साह को इंसाफ दिलवाया जाएगा।
प्रभावित लोगों की उम्मीदें
आवेदक और अन्य प्रभावित लोग इस मामले में जल्द से जल्द समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि न्याय होगा और बिहार सरकार की भूमि खरीद-बिक्री पर लगाम लगेगी, जिससे भविष्य में किसी अन्य नागरिक को ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।