-समय रहते प्रसव संबंधी जटिल मामलों की पहचान से इसका कुशल प्रबंधन संभव
अररिया, 27 सितंबर ।
जिले में सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये विभागीय स्तर से कई जरूरी पहल किये जा रहे हैं। स्वास्थ्य संस्थानों में उच्च गुणवत्ता वाली मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं की उपब्धता, संबंधित स्वास्थ्य कर्मियों के क्षमतावर्द्धन व समुदाय स्तर पर इसे लेकर संचालित जन जागरूकता अभियान के साथ जिले में संचालित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का सफल संचालन इस दिशा में बेहद कारगर व प्रभावी साबित हो रहा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर महीने के 09 व 21 तारीख को जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में विशेष शिविर आयोजित कर गर्भवती महिलाओं को जरूरी जांच, दवा व महत्वपूर्ण चिकित्सकीय परामर्श संबंधी सेवा उपलब्ध कराया जाता है. इसकी मदद से प्रसव संबंधी जटिल मामलों की पहचान व समय रहते इसका कुशल प्रबंधन आसान हुआ है।
सितंबर महीने में हाई रिस्क प्रिगनेंसी के 109 मामले चिह्नित
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम संतोष कुमार ने बताया कि जिले में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के सफल आयोजन से हाई रिस्क प्रिंगनेंसी के मामलों की पहचान आसान हुई है. इससे समय रहते इसका प्रबंधन संभव हो रहा है. उन्होंने बताया कि बीते अगस्त महीने में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत कुल 1013 गर्भवती महिलाओं का एएनसी जांच किया गया. इसमें हाई रिस्क प्रिगनेंसी के 97 मामले चिह्नित किये गये. इसी तरह सितंबर महीने में पीएमएसएमए अभियान के तहत 1382 महिलाओं का एएनसी जांच करते हुए हाई रिस्क प्रिगेनेंसी के कुल 109 मामले चिह्नित किये गये. सितंबर महीने में पीएमएसएमए अभियान के क्रम में 1355 गर्भवती महिलाओं की हेमोग्लोबीन, 779 महिलाओं का ब्लड ग्रुप, 1138 महिलाओं का यूरिन एलब्यूमिन, 201 महिलाओं का ओजीटीटी, 1253 महिलाओं का एचआईवी, 876 महिलाओं का सिफलिस जांच किये जाने की जानकारी उन्होंने दी.
आसान हुई है प्रसव संबंधी जटिल मामलों की पहचान
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों पर मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता व पहुंच पहले की तुलना में बेहतर हुई है. सुविधाजनक तरीके से गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व सभी जरूरी जांच संबंधी सुविधा उपलब्ध हो रहा है. लिहाजा नियमित अंतराल पर महिलाओं का एएनसी जांच संभव हुआ है. इससे गर्भावस्था से संबंधित जटिल मामलों का समय पर पता लगा कर इसे आसानी से प्रबंधित किया जा रहा है. जो जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो रहा है