= मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त तेवर के बाद जून 2024 में किसानों को चक पर मिल रहा कब्जा, 99 प्रतिशत किसान खुश
पैतृक संपत्ति कानून का उल्लंघन करके कब्जा के आधार पर सहखातेदारों में पैतृक संपत्ति वितरण करने वाले चकबंदी अधिकारी पर आज तक नहीं दर्ज हुई प्राथमिकी
अनिल उपाध्याय, पूर्वांचल नजरिया न्यूज, सुलतानपुर, 25जून।
उत्तर प्रदेश में अब तक 20 मुख्यमंत्री शासन संभाला चुके हैं। इन 20 शासकों के अतरिक्त, तीन शासक राज्य के कार्यकारी मुख्यमंत्री भी रहे हैं जिनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं जो कि 19 मार्च 2017 से इस पद पर आसीन हैं। इनके कार्यकाल में सन् 1971 में शुरू हुई चकबंदी पूर्ण होने की स्थिति में है लेकिन पैतृक संपत्ति में सहखातेदारों का कब्जा दिखाकर संविधान की धज्जियां उड़ानें के विवाद का पटाक्षेप आजतक नहीं हुआ है। पैतृक संपत्ति से सहखातेदार को वंचित करना असंवैधानिक कार्य है। यह कार्य चकबंदी-अधिकारियों द्वारा सन 1976 से सन 1989 के बीच किया गया। असंवैधानिक कार्य करने वालों पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गरीब काश्तकार सहखातेदारों से मुकदमा लड़ने के लिए मजबूर हैं।
स्वतंत्रता के पश्चात संयुक्त प्रांत, उत्तर प्रदेश नाम से जाना जाने लगा। 26 जनवरी 1950 को संयुक्त प्रांत के प्रधान गोविंद वल्लभ पंत राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने।
राज्य मेंं चार बार मायावती ने मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण किया है ! सबसेे ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री रहने रिकॉर्ड उन्हीं के नाम हैै ।
कमलापति त्रिपाठी 1971 में मूख्यमंत्री थे। उन्हीं के समय में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुल्तानपुर जिला अंतर्गत कादीपुर तहसील में स्थित ग्राम पंचायत पाकरपुर में चकबंदी कराने का निर्णय लिया था। आज लगभग 52वर्ष बाद योगी आदित्यनाथ उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं जिनके नेतृत्व में सुल्तानपुर जिला अंतर्गत कादीपुर तहसील क्षेत्र में स्थित ग्राम पंचायत पाकरपुर में चक काटा जा रहा है। 10प्रतिशत किसानों को छोड़कर अधिकांश किसान अपने चकों को देखकर बेहद खुश हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डीडीसी, एसओसीसी सीओ,
एसीओ, कानून गो और लेखपालों की मेहनत को किसान दिल से साधुवाद दे रहे हैं। वहीं अपनी पैतृक संपत्ति को सहखातेदारों द्वारा हड़प लिए जाने का मुकदमा लड़ रहे किसान बेहद चिंतित हैं।
संविधान का उल्लंघन कौन किया :
1976 में पाकरपुर ग्राम पंचायत में चकबंदी को लेकर सर्वे शुरू हुआ। 1990 में फार्म -5 बांटा गया। इस दौरान पैतृक संपत्ति कानून की धज्जियां उड़ाई गई। सहखातेदारों में जोत की मालियत कब्जे के आधार पर दी गई। सहखातेदारों में गरीब भाई को 40एयर तो अमीर भाई को एक हेक्टेयर का मालिक चकबंदी विभाग ने बना दिया। ऐसे विवाद के चलते खआशद ही खानदान से मुकदमा लड़ रहा है। वहीं मुकदमा का बीज बोने वाले चकबंदी अधिकारी पर किसी भी मुख्यमंत्री ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश नहीं जारी किया।
1976 से 1990 तक के सभी मुख्यमंत्री, लेखपाल, कानूनगो, एसीओ पैतृक संपत्ति कानून का उल्लंघन करने या चुप रहने
के लिए जिम्मेवार हैं।
उल्लेखनीय है कि1989 से 23जून 1991तक मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री थे। 1972 में कमलापति त्रिपाठी के कार्यकाल में शुरू हूई ग्राम पंचायत पाकरपुर की चकबंदी मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में फार्म 5 के वितरण की स्थिति में पहुंची थी।
इस दौरान चकबंदी विभाग का कार्य अनियमितता के पंजे में जकड़ा रहा। इसके विरोध में ग्राम पंचायत पाकरपुर के असंतुष्ट किसान हाईकोर्ट की शरण में गए। हाईकोर्ट द्वारा 1991 में चकबंदी पर रोक लग दी गई।
फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश और मूख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त तेवर के चलते ग्राम पंचायत पाकरपुर में 2024 के जून माह में चक पर कब्जा दिलाया जा रहा है।
गौरतलब है कि 1971 में कमलापति त्रिपाठी मुख्यमंत्री थे और आज योगी आदित्यनाथ उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।इन दोनों मुख्यमंत्रियों के अलावा अन्य मुख्यमंत्रियों ने ग्राम पंचायत पाकरपुर की चकबंदी की तरफ ध्यान नहीं दिया। निश्चित रूप से इसके लिए तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक और सांसद को भी इतिहास जिम्मेवार ठहराएगा।
1971से जून 2024 के दौरान उतर प्रदेश में सात बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। बतौर मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, रामनरेश यादव, बनारसी दास, विश्वनाथ प्रताप सिंह, श्रीपति मिश्र, नारायण दत्त तिवारी, वीर बहादुर सिंह, नारायण दत्त तिवारी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री रहे। लेकिन ग्राम पंचायत पाकरपुर की चकबंदी पर ताला लटकता रहा।
मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इस तरफ ध्यान दिया। चकबंदी विभाग के उच्च पदस्थ पदाधिकारियों के साथ हाईकोर्ट में चकबंदी को लेकर चल रहे मुकदमों की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा की। चकबंदी को लेकर सख्ती बरती। परिणामस्वरूप 52 वर्ष बाद ग्राम पंचायत पाकरपुर में किसानों को चक सुपुर्द किया जा रहा है।
पैतृक संपत्ति पर भू-माफिया का कानून क्यों हावी हैं:
किसान राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि 1971में कमलापति त्रिपाठी मुख्यमंत्री थे। 13जून 1973 तक वे मुख्यमंत्री थे। 1072 में ग्राम पंचायत पाकरपुर का चकबंदी विभाग के द्वारा सर्वे किया गया। इसी दौरान भू-माफिया का चकबंदी विभाग में प्रवेश होता है। वर्ष 1989-90 तक फार्म -5 का वितरण किया जाता है। जिसमें सहखातेदारों के बीच पैतृक सम्पत्ति का वितरण नहीं किया जाता है।
चकबंदी विभाग 1987से 19 -89 के बीच का खेल:
किसान राजेन्द्र सिंह ने बताया कि कि उस समय ग्राम पंचायत पाकरपुर में तीन- बड़े किसान थे जो छोटे सहखातेदारों को निगल गए। तत्कालीन चकबंदी अधिकारी बड़े किसानों के सहयोग से छोटे काश्तकारों की पैतृक संपत्ति पर बड़े और धनी सहखातेदारों का कब्जा दिखाकर छोटे सह काश्तकारों को वंचित कर दिया। ऐसे मामलों का आज तक निष्पादन नहीं हुआ है और चक पर कब्जा दिलाने की कार्रवाई जारी है।
मूख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ग्राम पंचायत पाकरपुर में षैतृक संपत्ति से वंचित किसान चाहते हैं पैतृक संपत्ति को कब्जे के आधार पर बंटवारा करने वाले चकबंदी अधिकारियों पर भू-माफिया एक्ट के तहत कार्रवाई हो। संविधान के अनुसार पैतृक संपत्ति में सभी को बराबर का हिस्सा मिले।
क्या कहते हैं किसान:
सेवानिवृत कर्मी और किसान राजेंद्र सिंह सहित दर्जनों पीड़ितों ने बताया कि मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में 1971 में पाकरपुर ग्राम पंचायत में चकबंदी-का निर्णय लिया गया। 1976 में सर्वे कार्य शुरू हुआ। इसी दौरान पैतृक संपत्ति कानून की मनमानी परिभाषा चकबंदी अधिकारियों द्वारा गढ़ी गई। सहखातेदारों को बराबर -बराबर का हिस्सा नहीं देकर कब्जा के आधार पर गरीब किसानों की जमीन अमीर सहखातेदारों को दे दी गई। इसको लेकर 1989-90 में फार्म बांटने के बाद एसीओ स्तर से मुकदमा शुरू हुआ। 1990-91में पाकरपुर की चकबंदी प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। 2014 में फिर सर्वे हुआ। फिर फार्म पांच बांटा गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में जुन 2024 में चकबंदी कार्य पूर्ण होने के स्थिति में है। लेकिन पैतृक सम्पत्ति का विवाद यथावत रहा गया है।
कानून कहता है, संविधान का उल्लंघन करके पैतृक संपत्ति का बंटवारा करने वाले चकबंदी अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए।