- एसओसीसी स्तर पर मुझे उड़ान चक दिया गया, पैसे के अभाव में नहीं कर सका चक यथावत रखने की पैरवी=अनिल सिंह, ग्राम पंचायत अध्यक्ष पाकरपुर, भाजपा
- मेरी शामिल जोत आबादी में पड़ोसी को हिस्सेदार बना दिया गया, मेरे स्कूल के निकट दूसरों को चक दिया गया, मुकदमा लड़ रहा हूं: नारायण यादव
- मेरे घर के सामने मुझे चक नहीं दिया गया, डीडीसी न्यायालय में मुकदमा लड़ रहा हूं: जगदीश सिंह
- मेरे तीन बीघा से अधिक भूमि के विभाग द्वारा अनियमितता बरती गई है: हरिकेश सिंह
अनिल उपाध्याय/मीरा प्रवीण वत्स, 09जून।
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सुल्तानपुर डीएम ज्योत्स्ना पांडेय और चकबंदी विभाग के आला अधिकारी आम आवाम को त्रुटिविहीन सेवा मुहैया कराने के लिए कृत संकल्पित हैं। लेकिन सर्वे टीम दायित्वों के निर्वहन को लेकर उदासीन है। अमीर वर्ग किसानों को मुकदमों में फंसा कर सुल्तानपुर जिले के कादीपुर तहसील के पाकरपुर ग्राम पंचायत के किसानो की। हकमारी कर रहा है। भाजपा नेता अनिल सिंह ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को सेवा में लापरवाही और भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है। ग्राम पंचायत पाकरपुर के असंतुष्ट किसानों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डीएम किशनगंज और चकबंदी अधिकारी कादीपुर को अपनी समस्याओं से अवगत कराना चाहिए। वर्ष 1972 से अन्य सरकारों के शासनकाल में चकबंदी विभाग सुल्तानपुर जिले के कादीपुर तहसील में जो कार्य करने में असफल रहा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में चकबंदी अधिकारी कादीपुर और उनकी टीम वह कार्य कर दिखाई है, चक कट रहा है।
अमीर वर्ग द्वारा चकबंदी को प्रक्रिया को प्रभावित किया गया है। मुझे भी उड़ान चक दिया गया है। हालांकि इसके लिए चकबंदी अधिकारी कादीपुर से ऊपर के पदाधिकारी जिम्मेवार हैं। मैं भी जिम्मेवार हूं। क्योंकि कि एसओसीसी न्यायालय में अपना पक्ष रुपये के अभाव नहीं रख सका।
सेवानिवृत्त वरिष्ठ पत्रकार दुर्केश सिंह को भी नहीं बख्शा, मुख्यमंत्री, डीएम और सीओ चकबंदी को लिखा पत्र:
सेवा में,
श्रीमान चकबंदी अधिकारी
कादीपुर, सुल्तानपुर*
प्रति
डीएम, जिला सुलतनपुर
सीएम, उत्तर प्रदेश सरकार
विषय= ग्राम पंचायत पाकरपुर, तहसील कादीपुर, जिला सुल्तानपुर में चकबंदी विभाग के लेखपाल व अधिकारियों द्वारा हुई असाधारण त्रुटि और उसमें सुधार करने के लिए वाद स्वीकार करने संबंध में
महोदय,
राम नरेश सिंह सुत रग्घू सिंह की मौत उस समय हो गई थी जब उनके वारिश दुर्केश बहादुर सिंह और हरिकेश बहादुर सिंह नाबालिग थे। इसका लाभ उठाते हुए 1980के दशक में रामनरेश सिंह के सहखाते की तीन बीघे जोत अर्थात 780एयर जोत में चकबंदी विभाग की मिलीभगत से अनियमितता बरती गई।
1980के दशक से जारी चकबंदी में 2024 के जून महीने में चक काटा जा रहा हैं। इस मौके पर उस समय और उसके बाद राम नरेश सिंह की जोत में बरती गई अनियमितता सामने आ रही है:
आपत्ति-01:
चक आउट गाटा संख्या 3994 मौके पर डेढ़ बीघा है। लेकिन फार्म 5 में एक बीघा है।
वर्ष 2021 में गाटा 3940 का रकबा 06विश्वा कम कर दिया गया।
गाटा संख्या 3994 मौके पर आज भी डेढ़ बीघा है, मौके पर रकबा के अनुसार गाटा संख्या 3994डेढ़ बीघा दर्ज किया जाए।
आपत्ति 02:
गाटा संख्या 2001और गाटा संख्या 1934में मर्यादी देवी पत्नी राम नरेश सिंह 1/2 की हिस्सेदार हैं। गाटा संख्या 2001और 1934 में मर्यादी देवी का हिस्सा अभिलेख के अनुसार 1/2दर्ज किया जाए।
आपत्ति 03
गाटा संख्या 3994 का एक बीघा और गाटा 2001का 10विश्वा (मर्यादी देवी का हिस्सा 10विश्वा ) दोनों गाटा एक ही खेत में शामिल है।
वादी के कब्जे में कुल डेढ़ बीघा है। यह पुश्तैनी कब्जा है। दोनों गाटों को नये नक्शा में मौके की स्थिति के अनुसार बंदोबस्त किया जाए।
आपत्ति 04 :
वर्ष 1980के दशक में गाटा संख्या 3994और गाटा संख्या 2001, दोनों चक आउट था। वर्ष 2021 में गाटा संख्या 2001पर मालियत लगा दी गई।
अतः गाटा 3994 की जोत आबाद में शामिल गाटा 2001 का 10विश्वा रकबा(मर्यादी देवी पत्नी राम नरेश सिंह) मर्यादी देवी के नाम से है, उसे (10विश्वा) चक आउट किया जाए।
क्योंकि गाटा संख्या 3994, एक बीघा और गाटा संख्या 2001का 10 विश्वा आज भी मौके पर एक ही खेत मेंं शामिल है।
गाटा संख्या 2001और 3994, कुल डेढ़ बीघा नक्शा और कागज में मौके के अनुसार बंदोबस्त किया जाए।
आपत्ति 05 :
गाटा संख्या 3994 एक बीघा और गाटा 2001 में 10 विश्वा, कुल डेढ़ बीघे पर वादी का कब्जादखल है। दोनों गाटा संख्या एक ही खेत है।
अतः 2024 के नये नक्शा में गाटा संख्या 3994 एक बीघा और गाटा संख्या 2021का 10विश्व, (मर्यादी देवी) मौके की स्थिति के अनुसार नक्शा में बंदोबस्त किया जाए।
3940 का रकबा एक बीघा, 2001 का रकबा 10विश्वा मौके के अनुसार नये नक्शे में बंदोबस्त होने तक गाटा संख्या 3940 के मापजोख पर प्रतिबंध लगाया जाए।
आपत्ति 06:
चक आउट गाटा संख्या 3994 को मौके पर रकबा एक बीघा है। वर्ष 2021 से पहले के कागज में भी 01बीघा है। मौके पर 3994 का जितना रकबा है, कागज में भी वही रकबा दर्ज किया जाए। क्योंकि वर्ष 2021का आदेश गाटा संख्या 3994 पर मौके का रकबा और चकबंदी कानून के अनुसार लागू नहीं होता है।
आपत्ति 07:
गाटा संख्या 1932 पर रामनरेश सिंह सुत रग्घू सिंह का पुश्त दर पुश्त कब्जा है। इस गाटा संख्या में वासुदेव सिंह को अवैधानिक तरीके से 1/2 का हिस्सेदार बना दिया गया है। गाटा संख्या 1932 से वासुदेव सिंह का नाम खारिज किया जाए।
आपत्ति 08
राम नरेश सिंह सुत रग्घू सिंह की शामिलजोत खाता संख्या
236,396,388,392,393,388,959,640 आदि में राम नरेश सुत रग्घू सिंह का नाम है। लेकिन, उनके वारिश दुर्केश बहादुर सिंह/ हरिकेश सिंह पुत्र राम नरेश सिंह को उपरोक्त खाता संख्या में शामिल खाता 392 के गाटा संख्या 1932 का 50 प्रतिशत हिस्सा ही मिला है। खाता संख्या 392 में दुर्केश सिंह/ हरिकेश सिंह को भी 07विश्वा का हिस्सा दिया जाए। गाटा संख्या 1932से वासुदेव सिंह का नाम खारिज किया जाए।
आपत्ति 09:
खाता 236, 396, 388, 392, 393,388,959,640 इत्यादि में दर्ज सभी गाटों में शामिल 30विश्वा रकबा पर राम नरेश सिंह पुत्र रग्घू सिंह के वारिश और वादी का कब्जा दखल आज भी है। चक कट जाने के बाद कब्जे से बेदखल हो जाएंगे।
सहखातेदार राम नरेश सिंह के वारिश दुर्केश बहादुर सिंह और हरिकेश बहादुर सिंह 30विश्वा की मालियत खाता संख्या 236, 396, 388, 392, 393, 388,959,640 इत्यादि में दिया जाए।
आपत्ति 10
लेखपाल और पदाधिकारियों ने राम नरेश सिंह के सह खाते की डेढ़ बीघा भूमि जोत आबाद दूसरों सहखातेदारों के नाम दर्ज़ कर दिया है।
खाता 236, 396, 388, 392, 393,388,959,640 इत्यादि में डेढ़ बीघा रकबा राम नरेश सिंह सुत रग्घू सिंह के वारिश दुर्केश बहादुर सिंह और हरिकेश बहादुर सिंह के नाम बंदोबस्त किए जाएं। डेढ़ बीघे और चक वादी को दिया जाए।
अतः: जहां भी लिपिकीय त्रुटि है, उसको दुरुस्त किया जाए।रामनरेश सिंह के वारिश दुर्केश बहादुर सिंह और हरिकेश बहादुर सिंह को डेढ़ बीघे के बराबर फार्म 23 में और मालियत दी जाए।
अनियमितता का एक उदाहरण: गाटा1951,1952,1953, 1954में से1855 पर राम नरेश सिंह के वारिश वादीगण दुर्केश बहादुर सिंह और हरिकेश बहादुर सिंह का भी कब्जा है। लेकिन उक्त गाटों में किसी भी घाटे की मालियत वादी के फार्म 23 में नहीं दर्शाया गया है।
गाटा संख्या 1930, 1931, 1932, 1933,1934 में गाटा 1932दुर्केश सिंह और हरिकेश सिंह के कब्जे में है लेकिन इस गाटा संख्या का 1/2 रकबा वासुदेव सिंह आदि को अवैधानिक तरीके से दिया गया है। गाटा 1932 का केवल 1/2 की मालियत वादीगण को दी गई है। उपभोक्ता सभी
त्रुटियां और उदाहरण चकबंदी विभाग की द्वारा हुई असाधारण खामियां हैं। आतएव दुरुस्त किया जाए।
हस्ताक्षर वादीगण
दुर्केश बहादुर सिंह
हरिकेश बहादुर सिंह
ग्राम पाकरपुर, परगना अल्देमऊ, तहसील कादीपुर,
जिला सुलतानपुर, उतर प्रदेश