नजरिया न्यूज़। भरगामा।
भव्य एवं पारंपरिक वेशभूषा में शुक्रवार को शंकरपुर पंचायत के श्रीराम जानकी ठाकुरबाड़ी के सीताराम मंदिर परिसर में तृतीय वार्षिकोत्सव प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के उपलक्ष्य में कलश यात्रा के साथ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया। कलश यात्रा का नेतृत्व श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर प्रेमदास जी महाराज उर्फ मोनीबाबा कर रहे थे। उन्होंने बताया शंकरपुर पंचायत के श्रीराम जानकी ठाकुरबाड़ी के सीताराम मंदिर परिसर में तृतीय वार्षिक उत्सव प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के उपलक्ष्य में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है। जिसको लेकर 17 मई शुक्रवार को सीताराम मंदिर परिसर से पारंपरिक गाजे-बाजे के साथ 1001 महिलाओं व कुवांरी कन्याओं ने भव्य कलश यात्रा निकाली। बैंड बाजे की धुन पर कलश सिर पर रखी कन्याओं ने भगवान सीताराम,राधे कृष्ण के गीत गाते हुए नृत्य भी कर रही थी। कलश सिर पर रखी कन्याओं ने सीताराम मंदिर परिसर से कलश लेकर पुरे गांव का परिक्रमा करते हुए लछहा नदी के तट पर पहुंचा। इसके बाद लछहा नदी के पवित्र जल कलश में भरकर वापस फूटानी हाट होते हुए सीताराम मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ स्थापित किया गया। इस कलश यात्रा में करीब सैकड़ो लोगों की भीड़ थी। इस कलश यात्रा में मुरली सिंह एवं उनकी धर्मपत्नी रेणु देवी व संत प्रेम दास उर्फ मोनीबाबा,उत्तम दास,कमल दास,मुरारी दास,जानकी दास आगे चल रहे थे। जिसका पूरे गांव में महिलाओं एवं पुरुषों ने स्वागत किया। तेज धूप के कारण इस कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को लोगों ने जगह-जगह पानी,शर्बत आदि पिलाते नजर आये। कलश यात्रा संपन्न होने के बाद संध्या को चार बजे आरती के साथ शुरू किए गए श्रीमद्भागवत कथा में मुख्य कथावाचक श्रीधाम वृंदावन के आचार्य रुचिर शास्त्री जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम इसकी महिमा से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में श्रीमद्भागवत कथा श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है,वो तीर्थ स्थल कहलाता है। इसको सुनने एवं आयोजन मात्र से हीं सौभाग्य प्रभु प्रेमियों को मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है,तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है। इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख की वाणी है,जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध का प्रसंग का उल्लेख होने के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है। इसके सुनने के प्रभाव से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ-साथ मोक्ष को प्राप्त करता है। प्रवचन में उन्होंने कहा कि इस कथा को सबसे पहले अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने सुना था,जिसके प्रभाव से उसके अंदर तक्षक नामक नाग के काटने से होने वाली मृत्यु का भय दूर हुआ और उसने मोक्ष को प्राप्त किया था। उन्होंने कलश यात्रा का महत्व बताते हुए कहा कि कलश सुख-समृद्धि का प्रतीक है। जो लोग कलश यात्रा में चलते हैं सुख-समृद्धि उनका साथ कभी नहीं छोड़ती और परमात्मा की विशेष कृपा के पात्र हो जाते हैं। कथा के दौरान उन्होंने मंच से कई सुंदर भजन भी गाए जिसे सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो उठे। इधर,जानकारी देते हुए संत उत्तम दास जी महाराज ने बताया कि इस सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के मुख्य कथावाचक श्रीधाम वृंदावन के आचार्य रुचिर शास्त्री जी महाराज श्रद्धालुओं को 23 मई तक श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराएंगे। प्रतिदिन शाम 04 बजे से रात के 07 बजे तक महाराज अपने मुखारविंद से श्रीमद्भागवत के प्रसंगों का वर्णन करेंगे। इसके साथ-साथ प्रत्येक दिन रात्रि के आठ बजे से रात्रि के 12 बजे तक रासलीला के उपरांत 23 मई को विशाल भंडारा का आयोजन के बाद पूर्णाहुति एवं हवन व महाआरती कर कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।