- नियमित अंतराल पर हीमोग्लोबिन की जांच जच्चा-बच्चा दोनों के लिए जरूरी
- एनीमिया प्रबंधन के प्रति विभाग गंभीर, हीमोग्लोबिन जांच को दी जा रही प्रमुखता
अररिया, 19 नवंबर ।
एनीमिया गर्भवती महिलाओं के लिये एक सामान्य लेकिन बेहद गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. जिले में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में एनीमिया का मामला अधिक पाया जाता है. एनीमिया की स्थिति तब पैदा होती है. जब शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है. दरअसल हीमोग्लोबिन हमारे खून में मौजूद एक तरह का प्रोटीन है. जो हमारे शरीर के विभिन्न टिश्यू तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है. खून में हीमोग्लोबिन का स्तर कम या अधिक होने से शरीर में कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाती है. गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के एनीमिया पीड़ित होने का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है.
गर्भावस्था के दौरान बढ़ जाता है एनीमिया का खतरा
सदर अस्पताल के वरीय चिकित्सक डॉ राजेंद्र कुमार ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान 80 फीसदी महिलाओं के एनीमिया से ग्रसित होने का खतरा रहता है. एनीमिया कई कारणों से हो सकता है. इसमें नियमित आहार में आयरन की कमी, बार-बार गर्भधारण, मलेरिया व शरीर में किसी संक्रमण व परजीवी की अधिकता के साथ-साथ गरीबी व अशिक्षा इसके लिये मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. उन्होंने बताया कि एनीमिया जच्चा-बच्चा दोनों की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. गर्भवती महिलाओं में कमजोरी, थकान, चक्कर आना व जटिल मामलों में समय से पूर्व प्रसव का खतरा रहता है. वहीं इस कारण नवजात कम वजन वाले व कमजोर होते हैं. उनका शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है. यही नहीं एनीमिया शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है.
संभावित खतरों के प्रति विभाग संवेदनशील
सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के संभावित खतरों के प्रति विभाग संवेदनशील है. इसे लेकर प्रथम तिमाही में गर्भवति महिलाओं की पहचान कर प्रसव पूर्व को प्राथमिकता दी जा रही है. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत संचालित अभियान गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के कुशल प्रबंधन में कारगर साबित हो रहा है. प्रसव पूर्व जरूरी सभी चार जांच में महिलाओं के हीमोग्लोबिन जांच को प्राथमिकता दी जा रही है. समय पर एनीमिया संबंधी मामलों को चिह्नित कर तत्काल इसके कुशल प्रबंधन को महत्व दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि गर्भावती व धात्रि महिलाओं आयरण व फोलिक एसिड की 180 गोलियों नि:शुल्क वितरित की जाती है. उन्होंने बताया कि आयरन और फोलिक एसिड की नियमित खुराक, संतुलित आहार का सेवन, नियमित स्वास्थ्य जांच से गर्भवती महिलाएं एनीमिया के संभावित खतरों से खुद का बचाव कर सकती हैं.
एनीमिया प्रबंधन विभाग की प्राथमिकता
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम संतोष कुमार ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में संभावित खतरों के प्रति विभाग बेहद सजग है. बीते अक्टूबर माह में जिले की कुल 08 हजार 517 महिलाओं चार बार एएनसी जांच संपन्न हुआ है. इसमें 07 हजार 563 महिलाओं का हीमोग्लोबीन जांच की गयी. इसमें 07 फीसदी से कम हीमोग्लोबिन वाले 155 मरीजों को चिह्नित किया गया. इसमें 56 महिलाओं का सफल इलाज किया गया. एनीमिया प्रबंधन को लेकर विभिन्न स्तर पर जागरूकता अभियान संचालित किये जाने की जानकारी उन्होंने दी.